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फ़रवरी 18, 2011

लिखैत रही।


             लिखैत रही।

मोन होइए जे एक मिसिया कऽ पिबैत रही
मुदा कहियो कऽ किछू-किछू लिखैत रही
कनेक हमरो गप पर धियान देबैए
मोन होइए जे पाठक सभ सॅं भेंट करैत रही।

ग़ालिब सेहो एक मिसिया कऽ पिबैत छलाह
मुदा किछू-किछू तऽ लिखैत छलाह
अपना लेल नहि  पाठक लोकनिक लेल
मुदा बड्ड निक लिखैत छलाह।

पद्य लिखनाई तऽ आब हम सीख रहल छी
हमरा तऽ नहि लिखबाक ढंग अछि
मुदा किछू निक पद्य लिखि नेनापन सॅं
एतबाक तऽ हमर सख अछि।

िक िलखू िकछू ने फुरा रहल अिछ
बढलैऍ मँहगाई तऽ अधपेटे भूखले रहैत छी
िकऍक ने रही जाऍ भूखल पेट मुदा
िकछू िलखबाक लेल मोन सुगबुगा रहल अछी।

पोथि लिखलनि महाकवि विद्यापति
लिखलनि पोथि बाबा नागार्जुन
किछू नव रचना जे नहि लिखब
तऽ कोना भेटत मैथिली साहित्यक सद्गुण।

लेखक समाजक सजग प्रहरी होइत छथि
अपना लेल तऽ नहि अनका लेल लिखैत छथि
कतेक लोक हुनका आर्थिक अवस्था पर हॅसैत अछि
मुदा तइयो ओ चुपेचाप लिखैत रहैत छथि।


कहू एहेन उराउल हॅसी पर कोनो लेखक
एक मिसिया कऽ पिबत कि नहि
अपन दुःखित भेल मोन के
कखनो के अपनेमने हॅंसाउत कि नहि

कतेक लोक गरियअबैत अछि
एक मिसिया पीब कऽ लिखब ई किएक सीखू
मुदा आई किशन मोनक गप कहि रहल अछि
पिबू आ कि नहि पीबू मुदा किछूएक तऽ लिखब सीखू।

आई हमरो मोन भए रहल अछि
जे एक मिसिया कऽ पिबैत रही
अपना लेल नहि तऽ पाठक लोकनिक लेल
मुदा किछू नव रचना लिखैत रही।


 लेखक:- किशन कारीग़र              
                                   


फ़रवरी 17, 2011

देशऽक चिन्ता - किशन कारीगर

  
      देशऽक चिन्ता

किनको छनि स्वार्थक चिन्ता
किनको छनि घूस लेबाक चिन्ता
नेता सभ के अछि कुर्सीक चिन्ता
मुदा किनको नहि अछि, देशऽक चिन्ता।

चुनाव जीतलाक बाद, कुर्सी भेटलैन्ह नेताजी के
भऽ गेलाह निःफिकीर
मुदा भाषणेटा मे खिचैत छथि
आर्थिक विकासऽक लकीर ।

भूखे मरैत अछि गरीब जनता
एहि बातक हुनका नहि छनि कोनो चिन्ता
शहीद होइत छथि देशऽक सीमा पर जुआन
कानब तऽ दूरक गप, श्रद्धांजलियो दैए लेल नहिं औता।

नेता सभ मंत्रालय लेल छथि परेशान
कियो स्वार्थसिद्धिक लेल अछि हरान
कियो भूखे मरि जाए, कियो दहा जाएय बाढ़ि मे
मुदा हुनका नहि, जेतैन मरल लोक पर धियान।

घूस खाईत-खाईत भऽ गेलाह भ्रष्ट
मुदा खादिक अंगा पहिर, अपना के बुझैेत छथि श्रेष्ट
कोना कऽ हेतै आर्थिक विकास
नहिं सोचैत छथि, नहि छनि चिन्ता।
सभ पार्टी के तऽ अछि कुर्सीक चिन्ता
मुदा किनको नहिं अछि देशऽक चिन्ता।

ई कविता विदेह में प्रकाशित भेल अछि।



 लेखक:- किशन कारीग़र
              
                                   
परिचय:-जन्म- 19830 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय "किशन"। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय "नन्दू" माताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी। मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा, कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।





मूरही-कचरी

   
                    
                       मूरही-कचरी
                             एकटा हास्य कथा।


दिल्ली संॅ दरभंगा होयत अपन गाम मंगरौना जायत रही। रस्ते में एकटा नियार केलहूॅं जे एहि बेर महादेव मंठ जेबेटा करब। एतबाक सोचैते-सोचैते कखन गाम पहुॅंच गेलहूॅं सेहो नहिं बूझना गेल। चारि बजे भोरे अंधराठाढ़ी यानी वाचसपतिनगर रेलवे स्टेशन उतरलहूॅं रिक्शावला सभ के हाक देलियै। भोला छह हौ भोला। ताबैत दोसर रिक्शावला बाजल जे आई भोला नहि एलै कियो बाजल जे जोगींदर आयल हेतै तकियौ ओकरा। भोला आ जोगींदर दूनू गोटे गामक रिक्शावला रहैए कोनो बेर गाम जाइ तऽ ओकरे रिक्शा पर बैसि क स्टेशन सॅं गाम जाइत छलहूॅं। एतबाक मे जोगींदर ओंघायत हरबराएल आएल अनहार सेहो रहै। वो बाजल कतए जेबै अहॉं। हम मंगरौना जाएब कक्का हमरा नहि चिन्हलहूॅं की। हॅं यौ बच्चा आवाज़ सॅं आब चिन्हलहूॅं आउ-आउ बैसू रिक्शा पर। दूनू गोटे गप सप करैत बिदा भेलहूॅं ताबैत जोगींदर सॅं हम पूछलियै कक्का ई कहू जे एहि बेर बाबाक दर्शन केलहूॅ किनहि। हॅं यौ बच्चा एहि बेर सजमैन खूम फरल छलै से हमहूॅं चारि बेर बाबा के जल चढ़ा एलहॅू आओर हुनका लेल सजमैन सेहो नेने गेल रहियैन। एतबाक में भगवति स्थान आबि गेल हम रिक्शा पर सॅं उतरि के भगवति केॅं प्रणाम करैत तकरा बाद अपना आंगन गेलहूॅ।
हमरा गामक प्रारंभ में भगवति स्थान अछि। गाम पर गेलहूॅं सभ सॅं दिन भरि भेंट घांट होयत रहल। भिंसर भेलै संयोग सॅं ओहि दिन रवि दिन सेहो रहै। बाबा सॅं भेंट करबाक मोन आओर बेसी आतुर भऽ गेल नियार केलहूॅं जे आई महादेव मंठ जाके बाबाक दर्शन कए आबि। हमरा गाम सॅ किछूएक दूर देवहार गाम में मुक्तेश्वर नाथ महादेवक प्राचीन मंदिर अछि जकरा लोक बोलचाल में महादेव मंठ कहैत छैक। ओना तऽ सभ दिन बाबाक पूजा होइत छलैक मूदा रवि दिन के भक्त लोकनीक बड् भीड़ होइत छलैक किएक तऽ ओहि दिन मेला सेहो लगैत छलै त दसो-दीस सॅ लोग अबैत छल।दरभंगा पढैत रही तऽ हमहूॅं महिना मे एक आध बेर महादेव के जल चढा पूजा कए अबैत छलहॅू। गामे पर भिंसरे नहा के बिदा भेलहूॅं माए हमर फूल बेल पात ओरियान कके देलिह। गाम पर सॅ मुक्तेश्वर स्थान बिदा भेलहॅू पैरे-पैरे जायत रही तऽ जहॉं गनौली गाछी टपलहॅू कि रस्ते में एकटा पिपरक गाछ छलै। ओतए सॅं महादेव मंदिर लगे में रहै। ओहि पिपर गाछ लक एकटा जटाधारी साधू भेटलाह हम कहलियैन बाबा यौ प्रणाम।
एतबाक में बाबा बजलाह जे कहबाक छह से जल्दी कहअ हमरा आई बड् जार भऽ रहल अछि। बाबाक ई गप सूनी कें हमरा कनेक हॅंसी लागि गेल। हम बजलहॅू आईं यौ बाबा अपने सन औधरदानी के कहॅू जार भेलैए। अपने तऽ एनाहियों सौंसे देह भभूत लेप के मगन रहैत छी। बाबा बजलाह हौ बच्चा आब लोक सभ ततेक जल चढ़बैत अछि जे हमरा कॅपकॅपि धअ लैति अछि। तूहिं कहए तऽ एहि उचित जे भक्त सभ हमर देह भिजा के निछोहे परा जाइत अछि। आब तऽ लोक सभ पूजा करै लेल नहि ओ त मूरही-कचरी खाई लेल अबैत अछि। हम बजलहूॅं बाबा अपने किएक खिसियाएल छी आई तऽ हम अहॅाक लेल दूध सेहो नेने आइल छी चलू-चलू मंदिर चलू भक्त लोकनि ओहि ठाम अहॉं के तकैत हेताह। बाबा खिसियाअत बजलाह कियो ने तकैत होयत हमरा तू देख लिहक सभ मूरही कचरी खाए में मगन होयत। तूॅं दरभंगा पढ़ैत छलह तऽ दूध सजमैन लए के अबैत छेलह मुदा जहिया सॅं पत्रकार भए दिल्ली चलि गेलह हमर कोनो खोजो पूछारी नहि केलह।
देखैत छहक मंगरौना चैतीक मेला मे तोहर गामवला सभ लाखक लाख टका खर्च करैत अछि मूदा हमरा लेल भागेश्वर पंडा दिया छूछे विभूत टा पठा दैति अछि। मंगरौनाक चैती मेला बड्ड नामी छलैक ओतए कलकता सॅं मूर्ती बनौनिहार आबि के भगवतिक मूर्ती बनबैत छलैक एहि द्वारे दसो दिस सॅं लोक मेला देखबाक लेल अबैत छलाह। भागेश्वर झा महादेव मंदिरक पंडा रहैत हुनके दिया बाबाक पूजा लेल सभ किछू पठा देल जायत छलैक।बाबा फेर खिसियाअत बजलाह जे आइ हम मंदिर नहि जाएब। हम कहलियैन जे बाबा अपने चलू ने मंदिर अहॉ जे कहबै आई से हेतै आबौ अहॉंक कॅंपकॅंपि दूर भेल किनहि \ नहि हौ बच्चा आई त हमरा बूझना जाए रहल अछि जा धरि मूरही-कचरी नहि खाएब ताबैत हमर ई जार-बोखार नहि छूटत। कहू त बाबा अपने एतबाक गप जे पहिने कहने रहितहॅू त हम एतबाक देरी] बच्चा कतेक दिन मोन भेल जे तोरा कहिअ जे हमरो लेल किछू गरमा-गरम नेने अबिह मुदा नहि कहलियअ ।हम मंदिर सॅं बाहर निकैल देखैत छलहूॅं जे लोग सभ हमरा जल ढ़ारी के निछोहे मूरही-कचरी वला लक परा जाइत छल एमहर हम एसगर थर-थर कॅपैत रहैत छलहूॅं कियो पूछनिहार नहि। आब लोग हमर पूजा सॅं बेसी अपन पेट पूजा में धियान लगबैत छथि। चलअ आब तहूॅं देखे लिहक जे हम सत्ते कहैत छियअ कि झूठ।
ओही पिपर गाछ लक सॅं हम आओर बाबा बिदा भेलहूॅं रस्ता में बाबा बजलाह जे हम किछू काल मंदिर मे रहब पूजा केलाक बाद हमरा बजा लिहअ। हम कहलियैन हे ठिक छै बाबा हम अपनेक लेल मूरही-कचरी किन लेब तकरा बाद अहॉ के बजाएब त चलि आएब। ओही ठाम सॅं बाबाक संग हम मंदिर पहुॅंचलहूॅं। ओतए देखलिए जे लोग सभ बाबा के जल चढ़ा निछोहे परा जाइत छल। ओना त मिथिलांचल मे मूरही-कचरीक सुंगध सॅं केकर मोन ने लुपलुपा जाएत अछि। हमहूॅं बाबाक पूजा पाठ केलाक बाद मेला घूमए गेलहॅू तऽ सभ सॅं पहिने पस्टनवला लक कचरी किनबाक लेल गेलहूॅं। ओकर कचरी एहि परोपट्ा मे नामी छल। हमरा देखैते मातर ओ अहलाद बस बाजल आउ-आउ किशन जी कहू कुशल समाचार। हम कहलियै जे बड्ड निक अपन सुनाबहअ। कचरीवला बाजल जे हमहूॅ ठिके छी दोकान अपना खर्चा जोकर चलि जाएत अछि। अच्छा आब हमरा दस रूपयाक मूरही-कचरी झिल्ली अल्लू चप दए दिहक। ओ हरबराइत बाजल हयिए लिए अखने गरमा-गरम  कचरी अल्लू चप सबटा निकालबे केलिए अहिमें सॅं दए दैत छी। हम कहलियै जे दए दहक गरमा गरम एहि मे सॅं।
 ओकरा हम पाइ दैत मंदिर दिस बिदा भेलहॅू ओतए पहुॅचतैह हम बाबा के हाक देलियैन मुदा कोनो जवाब नहि भेटल। हम एक बेर फेर हाक लगेलहॅू जे बाबा छी यौ कतए छी \ जल्दी चलि आउ कचरी सेराए रहल अछि। मुदा बाबाक कोनो प्रत्युतर नहि भेटल। हमरा बुझना गेल जे बाबा फेर खिसियाकेॅे कतहूॅ अलोपित भए गेलाह। दुःखित मोन सॅं हम गाम पर बिदा भेलहूॅं। पैरे-पैरे जाएत रही तऽ जहॉ पिपर गाछ लक एलहूॅं कि ओ जटाधारी साधू फेर भेटलाह। हमरा देखैते ओ बजलाह आबह-आबह तोरे बाट तकैत छलहूॅं जल्दी लाबअ मूरही-कचरी दूनू गोटे मिलि कए गरमा गरमा खाए लैत छी। तकरा बाद पोटरी खौलैत हम बजलहॅू हयिए लियअ बाबा खाएल जाउ। मुदा ई कि ओ फेर ऑखिक सोझहा सॅं कतहॅू अदृश्य भए गेलाह। बाबा सॅं भेंट तऽ भेल ओहि पिपर गाछ लक मुदा बाबाक लेल किनल मूरही-कचरी रखले रही गेल।


 लेखक:- किशन कारीग़र
              
                                   
परिचय:-जन्म- 19830 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दूमाताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी। मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।












फ़रवरी 14, 2011

किरीम लगाउ-मुहॅ चमकाउ



  किरीम लगाउ-मुहॅ चमकाउ

                 ।एकटा हास्य कथा।

बाबूबरही बज़ार सॅ घूमी क अबैत रही जहॉ सतघारा टपलहूॅ की मुक्तेश्वर स्थान लग बाबा भेंट भए गेलाह। हुनका देखैते मातर हम प्रणाम कहलियैन की बाबा बजलाह आबह बच्चा तोरे बाट ताकि रहल छलहूॅ जे कहिया भेंट हेबअ कतेक दिन बाद एमहर माथे एलह कहअ केमहर सॅ ख़बर नेने आबि रहल छह। हम बजलहूॅ बाबा हम त बरही हाट सॅ तीमन तरकारी किनने आबि रहल छी।
                 बाबा हरबड़ाईत बजलाह हौ बच्चा हमरो एगो मुहॅ चमकौआ किरीम देए ने ।हम पुछलियैन बाबा ई कहू जे मुहॅ चमकौआ किरीम केहेन होइत छैक। बाबा खिसियाअैत बजलाह कह त तोंही मीडियावला सभ प्राइम टाइम मे हल्ला कए लोक के कहैत छहक जे मरद भए के माउगीवला किरीम यदि हमरा जॅका गोर बनना है त ईमामी हैण्डसम मरदवला किरीम सिरीफ साते दिन मे दोगुना गोरापन। अहि दुआरे भेल जे हमहॅू कनि गोर-नार भए जाइत छी। हम बजलहूॅ बाबा अहॉ कथि लेल एहि किरीम सबहक फेरा मे परैत छी अहॉ त केहेन बढ़ियॉ सौंसे देह बिभूत लेप के अपने मगन मे रहैत छी। हमहूॅ तए अहिं जॅका साधुए छी हमरा लग मुहॅचमकौआ किरीम नहि अछि। ई सुनि बाबा तामसे अघोर भेल बजलाह तहॅू फूसि बजैत छह देखेत छहक मीडियावला लक तए रंग बिरंगक किरीम रहैत छैक तहूॅ मंगनी मे मदैद नहि करबह त हयिए ले 5रूपया आ लाबह मुहॅचमकौआ किरीम।
हम असमंजस मे परि गेलहॅू जे बाबा सन औधरदानी लोक के किरीमक कोन काज से कनेक फरिछा के पूछि लैति छियैन जे की भेल। हम पुछलियैन त बाबा बजलाह हौ बच्चा तोरा सभटा गप की कहियअ। बड्ड सख सॅ चारि बरिख बाद बसहा पर बैसि हम अपन सासुर हरीपुर गेल रही। गौरी दाए त बियाहे दिन सॅ हमर ठोर मुहॅं देखि रूसल छलीह। हम सोचलहॅू जे आई हुनकर सखी सहेली माने हम अपन सारि सभ सॅ हॅसी मज़ाक कए मोन मे संतोख कए लैति छी। हम अपना सारि सॅ पूछलहू कहू कुशल समाचार कि हमर सारि उपकैरि के बजलीह बुरहबा बर बड्ड अनचिनहार बुरहारी मे लगलैन किरीमक बोखार आ सभ गोटे भभा भभा के खूम हॅसैए लगलीह। हम पूछलियैन जे साफ साफ कहू ने की कहि रहल छी कि हमर दोसर सारि आर जोर सॅ हॉ हॉ के हॅसैत बजलीह अईं यौ पाहुन बुरहारी मे सासुर अएलहॅू त अकील रस्ते मे हेरा गेल की\ हम बजलहू से की त एतबाक मे हमर छोटकी सारि मुहॅ चमकबैत बजलीह देखैत छियैक हाट बज़ार मे रंग बिरंगक किरीम पाउण्डस बोरो प्लस डोभ एसनो पाउडर फेरेन लबली बिकायत छै से सब लगा के मुहॅ उजर धब धब बना लेब से नहि। एहेन कारि झोरी मुहॅ पर त घसबैहनियो ने पूछत आ हम तए एम.बी.ए केने छी। जाउ थुथून चमकौने आउ तब हॅसी मज़ाक करब।
    आब तोंही कहअ जे बिना किरीम लगौनेह जान बॉचत। देखैत छहक नएका नएका छौंड़ा सभ सासुर जाइअ सॅ पहिने ब्यूटी पार्लर जा थूथून चमकबैत अछि। हौ बच्चा कि कहियअ एखुनका छौंड़ीयो सभ कम ने अछि देखैत छहक किरीम  लगबैत लगबैत मुहॅ मे फाउंसरी भए जाइत छैक मुदा थुथून चमकबै दुआरे इहो मंजूर। पछिला पूर्णिमा मेला देखबाक लेल छहरे-छहरे पिपराघाट मेला गेल रही त ओतए गौरी दाए के दू चारि टा बहिना सभ भेंट भए गेलीह हम पूछलियैन जे कहू मुहॅ मे एतेक फाउंसरी केना? कि ताबैत हमर साउस केमहरो सॅ बजलीह पाहुन हिनका सभटा गप कि कहियैन ई सभ किरीम लगेबाक फल। ई छाउंड़ी सभ फिलमी हिरोईन सॅ एक्को पाई कम नहि अछि बिना ब्यूटि पार्लर जेने एकरा सभ के अनो पानि नहि नीक लगैत छैक। ई सुनि हमरो भेल जे ब्यूटी पार्लर जा कनेक थुथून चमका लैति छी। मुदा हम जे ब्यूटि पार्लर जाएब से जेबी मे एक्कोटा पाइओ नहि अछि। भागेसर पंडा के कतेको दिन कहलियैअ जे हमरो ब्यूटि पार्लर नेने चलअ से ओकरो भरि भरि दिन फूंसियाहिक पूजा-पाठ सॅ छुट्टी ने।
  हम बजलहॅू त बाबा दिल्ली चलू ने ओतए त बड्ड नीक एक पर एक ब्यूटि पार्लर छै। बाबा बजलाह हौ बच्चा हम डिल्ली नहिं जाएब हौ कियो नमरो पता नहि बता दैत छैक एक सॅ एक ठग लोक सभ रस्ते पेरे भेटतह हमरा त डर होइए। त बाबा चलू ने फिलिम सिटी नोएडा ओहि ठाम फेसियल करा लेब। बाबा बजलाह नहि हौ बच्चा बुरहारी मे एहेन करम नहि करब जे कोनो न्यूज़ चैनल जाएब। तोरो मीडियावला के सेहो कोनो ठीक नहि छह बेमतलबो गप के ब्रेकींग न्यूज़ बना दैति छहक। हम एमहर ब्यूटि पार्लर आ कोन ठिक तों खटाक दिस चैनल पर चला देबहक ब्रेकींग न्यूज़ किरीम लगाउ-मुहॅ चमकाउ।


 लेखक:- किशन कारीग़र
              
                                   
परिचय:- जन्म- 19830(कलकता में) मूल नाम-कृष्ण कुमार रायकिशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दू माताक नाम-श्रीमती अनुपमा देबी।मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी, जिला-मधुबनी (बिहार)। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम. फिल(पत्रकारिता) एवं बी. एड कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।


फ़रवरी 12, 2011

गलचोटका बर - किशन कारीगर

             
          गलचोटका बर।

                    ¼एकटा हास्य कविता)

देखू-देखू हे दाए-माए
केहेन सुनर छथि गलचोटका बर।
तिलकक रूपैया छनि जे बॉंकि
सासुर मे खाए नहि रहल छथि एक्को कर।

अनेरे अपसियॉंत रहैत छथि
अल्लूक तरूआ छनि हुनका गारा में अटकल।
खाइत छथि एक सेर तीन पसेरी
मुदा देह सुखाएल छनि सनठी जॅंका छथि सटकल।

केने छथि पत्रकारिताक लिखाई-पढ़ाई
दहेजक मोह मे छथि भटकल।
ऑंखि पर लागल  छनि बड़का-बड़का चश्मा
मुहॅं कान निक तऽ चैन छनि आधा उरल।

ओ पढ़हल छथि तऽ खूम बड़ाई करू ने
मुदा हमरा पढ़नाईक कोनो मोजर ने।
बाबू जी के कतेक कहलियैन जे हमरो पसीन देखू
मुदा डॉक्टर इंजीनियर जमाए करबाक मोह हुनका छूटल ने।

जेना डॉक्टर इंजीनियरे टा मनुख होइत छथि
लेखक समाजसेवीक एको पाई मोजर ने।
सोच-सोच के फर्क अछि मुदा केकरा समझाउ
दूल्हाक बज़ार अछि सजल खूम रूपैया लूटाउ ने।




एहि बज़ार में अपसियंॉत छथि लड़की के बाप
इंजीनियर जमाए कए छोड़ैत छथि अपन सामाजिक छाप।
एहि लेल तऽ अपसियॉंत छथि एतबाक तऽ ओ करताह
बेटीक निक जिनगी लेल ओ किछू नहि सोचताह।

अहॉं बेटी केॅ निक जॅंका राखब दहेज लैत काल
हमरा बाबू के ओ तऽ बड़का सपना देखौलनि।
ई तऽ बाद मे बूझना गेल जे किछूएक दिनक बाद
दहेजक रूपैया सॅं ओ पानक दोकान खोललैनि।

नहि यौ बाबू हम नहि पसिन करब एहेन सुनर बर
एतबाक सोचिए के हमरा लगैत अछि डर।
भले रहि जाएब हम कुमारी मुदा
कहियो ने पसिन करब, एहेन दहेज लोभी गलचोटका बर।

 लेखक:- किशन कारीग़र
              
                                   
परिचय:- जन्म- 19830(कलकता में) मूल नाम-कृष्ण कुमार रायकिशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दू माताक नाम-श्रीमती अनुपमा देबी।मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी, जिला-मधुबनी (बिहार)। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम. फिल(पत्रकारिता) एवं बी. एड कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।










































फ़रवरी 10, 2011

किडनी चोर -किशन कारीग़र

     किडनी चोर।

देखू-देखू केहेन जमाना आबि गेल
मनुखक हृदय भऽ गेल केहेन कठोर
सभ सॅं मुॅंह नुकौने, चुपेचाप
भागि रहल अछि एकटा किडनी चोर।

डॉक्टर भऽ के करैत अछि डकैति
कोनो ग़रीबक बेच लैत अछि किडनी
पुलिस तकैत अछि ओकरा इंडिया मे
मुदा ओ परा जाइत अछि सिडनी।

कोनो ग़रीबक किडनी बेचि कऽ
संपति अरजबाक केहेन ई अमानवीय भूख
केकरो मजबूरीक फायदा उठा कऽ
डॉक्टर तकैत अछि खाली अपने सूख।

केकरो जिनगी बॅंचौनिहार डॉक्टर रूपयाक लोभ में
बनि गेल आब किडनी चोर
छटपटा रहल अछि एकटा गरीबक करेजा
कनैत-कनैत सूखा गेलै ओकर ऑंखिक नोर।

मनुख आब केहेन लोभी भऽ गेल
आब ओ किडनी बेचब सेहो सीख गेल
राता-राति अमीर बनबाक सपना देखैत अछि
रूपया खातीर ओ किछू कऽ सकैत अछि।

मनुख भऽ के मनुखक घेंट काटब
कोन नगर में सिखलहुॅं अहॉं
आबो तऽ, बंद करू किडनी बेचबाक धंधा
मानवताक नाम सगरे घिनेलहुॅं अहॉं।

कोनो गरीबक किडनी बेचि कऽ
महल अटारी बनाएब उचित नहीं थीक
एहेन डॉक्टरीक पेशा सॅं कतहू
मजूरी बोनिहारी करब बड्ड नीक।

हम अहिं के कहैत छी यौ किडनी चोर
एक बेर अपने करेजा पर छूरी चला कऽ देखू
कतेक छटपटाइत छैक करेजा
एक बेर अपन किडनी बेचि कऽ तऽ देखू।

 लेखक:- किशन कारीग़र
               

परिचय:-जन्म- 19830 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दूमाताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी। मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि।वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र  विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।

नबकनियाँ - किशन कारीगर


        नबकनियाँ

मोन रखियौ कनेक हमरो पिया
सोलहो सिंगार कए बैसल छी हम एसगर
भेंट होएब कहिया अहॉ मोन मे आस लगेने
अहॉक बाट तकैत छी हम एसगर।

कौआ कूचरल भोरे-भोर
चुपेचाप हमरा केलक सोर
कहलक जल्दीए औतहुन तोहर ओझा
लिपिस्टीक लगा हम रंगलहुॅ अपन ठोर।

परदेश जाइत-मातर यौ पिया
किएक बिसैर जाइत छी नबकनियॉ के
नहि बिसरब कहियो परदेश मे हमरा
सपत खाउ हमरा पैरक पैजनीयॉं के।

जूनि रूसू अहॉ सजनी नहि घबराउ यै
मोन पड़ैत छी अहॉ तऽ लगैत अछि बुकोर यै
मुदा कि करू नहि भेटल तनखा समय पर
नहि किनलहुॅ अहॉंक लेल लहंगा पटोर यै।

साड़ि पहिर हम गुजर कए लेब
नहि चाहि हमरा राजा लहंगा पटोर यौ
अहॉक सुख-दुख मे रहब सहभागी
देखितहुॅं अहॉ के ऑखि सॅ झहरैत अछि नोर यौ।

अहिंक बियोग मे दिन राति जरैत छी
इजोरिया मे टुकूर-टुकूर अहिं के देखैत छी
अहिंक संग एहि बेर घूमब चैतीक मेला
मोने मोन हम एतबाक नियार करैत छी।

बड्ड केलहुॅं नियार अहॉ आबि कऽ देखू
मुस्की माइर रहल छी हम चौअनियॉं
जल्दी चलि आउ गाम यौ पिया
चिªट्ठी लिख रहल अछि एकटा नबकनियॉं।


 लेखक:- किशन कारीग़र
              
                                   
परिचय:-जन्म- 19830 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दूमाताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी। मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।






पिअक्कर- किशन कारीगर

          
पिअक्कर।

सॉझ पड़ैत देरी पीब कऽ ओंघरा जाइत छी
हम छी पीअक्कर।
पढ़लाहा लिखलाहा के मूर्ख बूझैत
अपना के बुझैत छी लाल बुझऽक्कर।
धिया.पूता पढ़ैत अछि किनैंहि
तेकर नैंहि करैत छी हम खोज
मुदा पिबैत छी हम रोज।
अपन काज छोड़ि कैं
व्यर्थ हम घूमैत रहैत छी
केहेन छी हम घूमक्कर हम छी पीअक्कर।
पाई सधहेलौं दारू में
भऽ गेलौंह हम फक्कर
महाजनक कर्ज देखि कऽ
अबैत अछि हमरा चक्कर।
लाधहल अछि हमरा माथ पर कर्जाक पहाड़
लगबैत छी कोर्ट कचहरीक चक्कर
किएक तऽ हम छी पिअक्कर।
सॉझ पड़ैत देरी पीब कऽ ओंघरा जाइत छी
हम छी पीअक्कर।
एखने हम शपत खाईत छी
 जे हम नैंहि आब पीयब
किएक कहत आब कियो हमरा पिअक्कर।
धिया.पूता के निक स्कूल कॉलेज में पढ़ाएब
एहि लेल तऽ एलगबैत छी मधुबनी दरभंगाक चक्कर।


लेखक:- किशन कारीग़र

 
परिचय:- जन्म- 19830 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दू माताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी।   मूल निवासी-ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी] जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र  के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक, आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं लघु कथा कविता राजनीतिक  लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी।शिक्षाः-एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।