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अक्तूबर 03, 2011

दहेज मुक्त मिथिलाके निर्माण एवं मिथिलाके धरोहरके संरक्षण





मिले,
... श्रीमान्‌/श्रीमती/श्रीयुत्‌ ...........................................................
पता: ................................................................................
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विषय: दहेज मुक्त मिथिलाके निर्माण एवं मिथिलाके धरोहरके संरक्षण

महोदय/महोदया,

उपरोक्त विषयमें अपने केँ सूचित करैत अपार हर्ष भऽ रहल अछि जे आजुक २१वीं शदीमें मिथिलाके युवा जनशक्ति जे आइ संसारके हर कोणमें पसरल छथि आ काफी प्रभावशाली योगदान दैत संसारके निर्माणमें व्यस्त छथि - हुनकहि जागृतिके इ सुखद परिणाम थीक जे ‘दहेज मुक्त मिथिला’ नामके एक संस्थाके निर्माण भेल अछि जेकर मुख्य उद्देश्य केवल एतेक जे मिथिलामें माँगरूपी दहेज के प्रथाके समाप्त कैल जाय - मिथिलाके बेटी ऊपर इ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दुनू रुपें अत्याचार थीक; प्रत्यक्ष एहि लेल जे संतान सभ बराबर होइछ, जहिना लोक बेटाके पढाबयलेल अग्रसर छथि, तहिना बेटीके लेल सेहो छथि - तखन दू रंगके व्यवहार जे बेटाके विवाहमें बेटीवाला के त्यागके कोनो गणना नहि करैत माँगरूपी दहेज के थोपल जैछ। अप्रत्यक्ष अत्याचार एहि लेल जे दहेज के व्यवहार के कारण बहुतो माता-पिता अपन कन्याके उच्च अध्ययन सऽ वञ्चित रखैत छथि आ एहि तरहें मिथिलामें प्रतिभा रहितो मैथिलपुत्री बहुत पछुवायल छथि। जतय आजुक महिला संसारके उच्चतम्‌ शिखर माउण्ट एवरेस्ट सऽ लऽ के, राष्ट्रकवच सेनामें एवं विज्ञानके युगमें प्रखर प्रदर्शन करैत संसारके आगू बढाबयमें हर क्षेत्रमें अगुआ भूमिका निर्वाह कय रहल छथि ततय मिथिलाके बेटीपर दहेज के एहेन प्रहार छैक जे एक निश्चित सीमा तक मात्र पढाइ करैत छथि। उच्च शिक्षाके लेल हतोत्साहित होइत छथि। केवल विवाह एवं वर हेतु चिन्तित रहैत दहेजके व्यवस्थामें लागल थाकल परेशान मैथिल असल ऐश्वर्यके, रिद्धि-सिद्धिके एवं समुचित विकासके बहुत पैघ बाधक बनल छथि। एहि प्रतिकूलताके विरुद्ध छेड़ल मौलिकताके लड़ाईमें अपनेक सहयोगकेर आकाँक्षा रखैत इ पत्र प्रेषित कय रहल छी जे हमरा लोकनिक कार्य-प्रणालीमें मिथिलाके धरोहर जे लगभग हर गाम - हर इलाका में कोनो ने कोनो रूपमें अवश्य मौजूद अछि ताहि ऊपर एकजूट बनैत संरक्षण के कार्य कैल जाय - एहि में अपनेक सहयोग के अपेक्षा रखैत छी।

वर्तमानमें हमरा लोकनि सौराठ सभाके पुनरुत्थान हेतु जन-जागरण अभियानमें अपनेक सहयोग के याचना करैत छी। एहि सभाके जे पौराणिक शुद्ध संस्करण छल ताहिके पुनर्जागरण करयमें, दहेज मुक्त विवाह हेतु एवं विद्वत्‌ सभा जाहिमें मिथिलाके विकास हेतु आम चर्चा-परिचर्चा सेहो होइ आ लोक एकताके सूत्रमें बँधैत नव-नव-निर्माणके कार्यमें संलिप्त होइथ - ताहि लेल सालमें एक बेर सौराठ सभागाछीके पुनः जगायल जाय। एकर जागृति लेल अपनेक सहभागिता के अपरिहार्य आवश्यकता बुझैछ। संगहि जे पौराणिक परंपरा वैवाहिक अधिकार निर्णय कराबय हेतु पंजिकार द्वारा विगत पुश्ताके बीच कोनो प्रकार के रक्त सम्बन्ध जाँच कराबैत कैल जैछ एकर परित्याग कदापि नहि करै जाइ। सिद्धान्त लिखाबैक परंपरा पर सेहो सभ मैथिल ब्राह्मण जाग्रत रहैथ।

जानकारी दी जे एहि बेर सौराठमें श्री श्री १०८ श्री माधवेश्वर नाथ महादेवके मन्दिर जेकर निर्माण दरभंगा राज द्वारा करायल गेल आ जे आइ अत्यंत उपेक्षित अबस्थामें अछि, एकर जीर्णोद्धार हेतु दहेज मुक्त मिथिला कटिबद्ध अछि। अपने लोकनि सँ निवेदन जे एहि शुभ कार्यमें अपन यथायोग्य सहयोग निम्न खातामें अवश्य पठाबी।

खाताधारकके नाम :-सौराठ सभा विकास समिति एवं दहेज मुक्त मिथिला
खाताधारक बैंकके पता :- रहिका, मधुबनी , बिहार
खाताधारक बैंकके नाम :- भारतीय स्टेट बैँक
खाता नं. :- 31742944456
आई. एफ. एस. सी. कोड:- SBIN0005897

धन्यवाद,

सदस्य,
दहेज मुक्त मिथिला, पंजी भवन,
सौराठ सभागाछी, मधुबनी।
फोन: 09661042056..09135462251 .09279343090
 

सितंबर 15, 2011

मुन्नी बदनाम भेलैए किएक ?


मुन्नी बदनाम भेलैए किएक ?
                  एकटा हास्य कथा।

इंडिया टी वि में एकटा संगी सँ भेंट केने फिल्म सिटी नोएडा स अबैत रही। समाचार बूलेटिन के समय भ गेल रहै तही दुआरे हरबड़ाएल आकाशवाणी अबैत रही। हम सेक्टर 16 मेटो स्टेशन लक आएले रही  की ओतए एकटा मित्र मदन भेंट भए गेलाह कुशल छेमक गप भेलाक बाद हम बजलहू भाए एखन हमरा जाए दियअ फेर कहियो गप नाद करब । ओ बजलाह यौ किशन अहू हरबड़ाएल नोएडा अबैत छी आ फूर सिन पड़ा जायत छी कहियो भेंटो घांट ने पहिन हमरा एकटा गप समझा दियअ तखन जाएब ।हम बजलहु  जल्दी कहू त ओ बजलाह ई कहू त मुन्नी बदनाम भेलैए किएक ?
       हम किछु बजितहु कि ताबैत डमरू डूगडूग के अवाज सुनलियै ओतए मेटो सीढ़ि लक बाबा भेंट भए गेलाह हमरा देखैत मातर ओ बजलाह हौ कारीगर बच्चा तोरे तकैत तकैत अई ठाम अएलहू पहिने हमरा जल्दी स एकटा गप बुझहाए दैए। हम बजलहू कोन गप यौ बाबा की ओ बजलाह हौ बच्चा एकटा गप कहअ त मुन्नी बदनाम भेलैए किएक ? हम बजलहु इ त हमरो नहि बुझहल अछि मुदा अहॉ कोन मुन्नी के गप कहि रहल छी। बाबा हॅसैत बजलाह हौ कारीगर तहू बड्ड अनठा अनठा के पुछैत छह कहअ त सौंसे दुनिया अनघोल भेल छै जे मुन्नी बदनाम भेलै शिला के जवानी तेरे हाथ न आनी। तई मे तोंही मीडियावला सभ और बेसी हल्ला केने छहक मुन्नी फिर से बदनाम हुई मुन्नी को देख डोला इमान। एतबाक नहि चैनलो में बचिया सभ देहदेखौआ कपड़ा पहिर खालि एहने समाचार सभ पढ़ैत छैक देखू वालीवुड मसल्ला मुन्नी बदनाम भेलै देखैत छहक इ समाचार देख सुनि दोसरो मुन्नी सभ बदनाम होइ लेल एखने स आतुर भेल छै। तहि दुआरे त हम पुछलियअ जे मुन्नी बदनाम भेलै किएक ?
   बाबाक प्रशन सुनि त हम गुम भए गेलहु किछु ने फुरा रहल छहल आ हॅसी सेहो लागि रहल छह। बाबा फेर बजलाह हौ एतेक कथि सौचै मे लागल छह ज कहि दिमाग तिमाग भंगैठ जेतह त  कोन ठिक तहू बदनाम भ जहियअ। देखहक एकटा गप त हम बुझहलियै जे जेबी मे एक्को टा पाइ नहि रहतह आ थूथून निक नहि रहतह त कतबो नाक रगरब त बापो जिनगी मे शिला के जवानी हाथ न आनी मुदा ई दोसर गप हमरा दिमागे मे ने घूसी रहल अछि जे मुन्नी बदनाम हुई। तहि दुआरे तोरा पुछलियअ जे मुन्नी बदनाम भेलै किएक ?हम बजलहु अच्छा बाबा एकटा गप कहू त अहा केना बुझहलियै जे मुन्नी बदनाम भेलै। बाबा बजलाह कहअ त सौंसे दुनिया ई गप अनघोल भेल छै तहू मे त आब शहर बजार स ल के गाम घर तक ई मुन्नी बदनाम ने भेलै कि हमरा रहनाई मुशकिल भए गेल। आब त कान दै जोग नहि रहलै जतै देखहक ततै मुन्नी बदनाम।
    हम बजलहू अई यौ बाबा मुन्नी बदनाम भेलै त अहा किएक अकक्ष भेल छी। बाबा बजलाह हौ कारीगर अकक्ष की जान बचाएब मुशकिल भए गेल अछि देखैत छहक छौंडा मारेर सभ पूजा करैत काल मंदिरे मे गाबअ लगतह मुन्नी बदनाम भेलै हेतै  यै मुन्नी अहा के गली गली मे चर्चा किदैन कहा । ततबेक नहि यै छौंडी सभ मंदिरे मे सप्पत खा खा बदनाम होइए के फिराक मे लागल रहतह। कहतह हे भोला बाबा तोंही जान बचबिहअ तोरा दू लोटा बेसी के जल चढ़ेबह। मुदा गारजियन सभ हमरा आबि आबि पुछतह यौ बाबा एतए कोनो मुन्ना मुन्नी के देखलियैए। आब त हमरा डरो होइए जे कहिं बदनाम होइ के झोंक मे कोइ हमरो लेल ने बदनाम भए जाय। तहू मे नबका तूरक धिया पूताक कोनो भरोस नहि एकरा सभ के पढ़नाइ लिखनाई मे कम आ बदनाम होइ मे बेसी मोन लगैत छैक। औग ने पौछ देखतह आ खाली बदनाम होइए के फिराक मे लागल रहतह। हम बजलहू अई यौ बाबा अहा लेल के बदनाम होइए।
 बाबा बजलाह हौ बच्चा जूनि पूछह कि कहियअ पछिला कोजगरा मे हम अप्पन सासुर हरीपुर गेल रही कुशल छेमक गप भेलाक बाद हमर छोटकी सारि टुन्नी बजलीह यौ पाहुन एकटा गप कहू । हम कहलियैन कहू ने की एतबाक मे केम्हरो स हमर बीरपुर वाली सरहोइज चाह पान नेने दौगल अएलीह। हम एक घोंट चाह पीनैहे रही की बीरपुर वाली बजलीह पाहुन एकटा गप बुझहलियैए हम हुनका पुछलियैन कोन गप यै त ओ बाजल चुपू अनठिया कहि के बुरहारी मे खाली गप अनठा अनठा बजैत छी आ हमर सरहोइज सारि खूम जोर सॅ हा हा के हसैए लगलीह। फेर बीरपुर वाली खिखिआ के हसैत बजलीह टुन्नी बदनाम हेतै यै बुरहबा पाहुन अहि के लिए। टुन्नी ताली बजा बजा सुल मे ताल मिला गाबए लागल टुन्नी बदनाम हेतै यौ बुरहबा पाहुन अहि के लिए । हौ बच्चा टुन्नी के गप सुनी त कि कहियअ हम असमंजस मे परि गेलहु जे इ अपनो बदनाम होएत आ बुरहारी मे हमरा गंजन टा कराउत। डरे हम दोसर घोंट चाहो नहि पिलहु चाह सेरा के पानि भ गेल।
फेर कि भेल यौ हम उत्सुकतावस बाबा स पुछलियैन त ओ बजलाह हौ बच्चा सभटा गप तोरा कि कहियअ टुन्नी के हम कहलियै अई यै टुन्नी एतेक छौंडा मारेर सभ साइकिल ल के ओइ बाध स ओई बाध शहर स बजार मुन्नी के तकने फिरै छै तेकरा सभ लेल बदनाम हएब से नहि त फुसियाहि के हमरा पाछु लागल छी। टुन्नी बजलीह नहि यौ पाहुन हम त अहि लेल बदनाम होएब तब ने लोको हमरा चिनहत जे हमहू बदनाम होइ लेल आतुर भेल छी। भने मीडियावला सभ के एकटा खबर सेहो भेट जेतैए जे मुन्नी फिर बदनाम हुई आ हमरो कोनो धारावाहिक मे झगरलगौन माउगी वा कि कोनो फिल्म मे आइटम गर्ल के काज भेट जाएत। कि कहियअ टुन्नी के बदनाम हेबाक प्रबल इच्छा देखि हम फुर दिस अपना सासुर स बिदा भगलहु आ फेर कहियो हरीपुर नहि गेलहु। ओकर गप सुनि त डरे हमरा हुकहुकी धए लेलक जे कहि ठीके मे टुन्नी बदनाम भेलै आ कि एना केलकै त हमहू बदनाम भए जाएब। तहि दुआरे त कहलियअ  हौ बच्चा जे कहिं कोई हमरो लेल ने बदनाम भए जाए तहू मे आबक धिया पूता के कोनो ठेकान नहि बदनाम होइ दुआरे फिलमी फंडा अपनौतह। गारजिअन के इ कहतह जे हम टीशन पढ़ै लेल जाइत छी आ पढ़नाइ छोड़ि के पार्क कॉफि हाउस घूमै लेल चलि जेतह आ बदनाम होइ के फिराक में लागल रहतह। जेना ओकरा सभ के और कोनो काजे नहि रहै तहिना।
   बाबा बजलाह हौ बच्चा तू ख़बर लेल हाट बजार स ल के शहर गाम सभ ठाम जाइत छह मुदा हमरा एकटा गप नहि बुझहा देलह। हम पुछलियैन कोन गप यौ बाबा की ओ बजलाह अईं हौ कारीगर तहू बड्ड अनठाह भ गेलह तोरा त ई गप बुझहले हेतह जे मुन्नी भेलै आ तहू मे मीडियावला सभ और बेसी हल्ला केने छहक। कतए कोन मुन्नी बदनाम भेलै सेहो ख़बर रखैत छह मुदा हमरा सिरिफ एक्के टा गप बुझहा दए ने जे मुन्नी बदनाम भेलै किएक ?

लेखक - किशन कारीगर


जुलाई 05, 2011

मैथिली सीखू - एकटा हास्य कथा


         मैथिली सीखू ।
           एकटा हास्य कथा ।


कोइलख वाली काकी खिसियाअैत बजलीह भरि दिन बैसल फुसियांहिक गप नाद मे लागल रहैत छी एहि स नीक जे किछू काज-राज करब से किएक नहि करैत छी। इ सुनि गजानन बाबू गरजैत बजलाह हम की करू हम त मैथिली पढ़ने छी काज राज त करैते छी त आब की करू। काकी खोंजाइत बजलीह किएक अई इ टीशन पढ़ाएब से नहि जे किछू आमदनी होइत त गाम मे कनेक खेत पथार सेहो कीन लेब। देखैत छियैक रमानन बाबू टीशन पढ़ा संपैत ढ़ेरिया लेलैन आ अहा गप नाद मे ओझराएल रहैत छी। गजानन बजलाह हे यै कोइलख वाली अहा सपना तपना देखैत छीएक टीशन तहू मे मैथिली के। इ सुनि काकी मुह चमकबैत बजलीह हे महादेव कनि अहि हिनका मति दियऔन। एतबाक मे गजनान बाबू फुफकार छोरैत बजलाह अईं यै अहा महादेव के किएक कहैत छियैन देखैत छियै महादेवक कृपा सॅ हम मैथिली स फस्ट डीविजन मे बी ए पास केने छी त आब की।
              काकी बजलीह यौ बाबू सोझहे डिग्री टा लेला स की होइत की ओकर किछू सार्थक काज सेहो हेबाक चाहि। देखैत छियैक आब लोग मैथिलियो पढ़ि कल्कटर लेखक भाषाविद् बनि रहल अछि मुदा अहॉ के मैथिली पढ़ाएब मे कोन मासचरज लगैए से नहि जानि। गजानन बाबू गमछा स देह कुरियबैत बजलाह यै कोइलख वाली ज अहा कहैत छी त हम कनेक रमानन बाबू स विचार पूछने अबैत छी ओ एतेक दिन स टीशन पढ़ा रहल छथि हुनका स परमार्श लेनै नीक रहत। काकी बजलीह जाउ अहॉ यै जल्दी जेब्बो टा करू अहॉ बड्ड ठेलीयाह आ कोंरहियाठ भ गेलहू। गजानन हॅफैत हा हा हा क बजलाह हइए हम एखने जा रहल छी कहू त नीक काज मे एतेक देरी किएक।
  रमानन बाबू विद्यार्थी सभ के पढ़बैत रहैथ की तखने गजानन धरफराएल ओतए पहुचलाह आ बजलाह कि औ सर किछू हमरो जोगार धरा दियअ। हुनका देखैत मातर रमानन बाबू बजलाह ओ हो मिस्टर गजानन कम कम मोस्ट वेलकम। गजानन पानक पीक फेकि बजलाह अपन लंगोटिया यार भ मैथिली मे बजबह त अंग्रेजी झारै मे लागल छह। इ सुनि रमानन बाबू बजलाह ओ मिस्टर गजानन प्लीज स्लोली स्टूडेंट इज हियअर सो प्लीज वेट। गजानन बजलाह रौ दोस इ वेट फेट छोड़ आ हमरो गप पर घियान दहि। इ गप सुनि रमानन बाबू विद्यार्थी सभ के ज्िल्दए छुट्टी दए देलखिहिन ओ सभ चल गेल। तकरा बाद रमानन बाबू रमानन बाबू बजलाह अई रौ गजानन तहू हरदम धरफराएल अबैत छैं कह की गप किएक एतेक अपसिंयात छैं। गजानन बजलाह रौ भाइ की कहियौह तोहर भाउज कहिया स हुरपेट रहल अछि जे टीशन किएक नहि पढ़बैत छी मुदा हमरा त किछू ने फुरा रहल अछि की करू। ओ बजलाह भाउज ठीके त कहि रहल छौ रौ दोस।
              गजानन बजलाह तोहि कह ने भाइ एखुनका एडभांस युग मे अगबे मैथिली के पढ़त एखन त जतए देखहि अंग्रेजी सीखू के बोर्ड लागल रहैत छैक तहू मे पहिने सीख लियअ फिस 15 दिन बाद दियौअ सेहो स्कीम रहैत छै । एना मे छौड़ा मारेर सेहो खाली अंग्रेजी स्पोकन मे नााम लिखा रहल अछि अपना भाषा स कोन काज छैक ओकरा। रमानन बाबू बजलाह से त ठीके मुदा भाइ तू चिता जूनि कर मैथिली संगे अंग्रेजी फ्री क दिहैक त तोरो बिक्री बट्टा भ जेतौह। गजानन हफैत बजलाह भाइ फरिछा के कह हम अपसियात भेल छी आ तू गप मारि रहल छैं। तखन रमानन बजलाह नहि रौ भाइ ठीके कहि रहल छियौ देखहि आइ काल्हि त देखते छिहि एकटा समान संगे एकटा फ्री देबही तबे किछु बिक्री हेतौह। तू मैथिली पढ़बहिए आ हम तोरे कोचिग मे आबि के फ्री मे अंग्रेजी पढ़ा देबै त तोरो काज हलूक भए जेतौ। ई सुनि गजानन खुशि स मोने मोन नाचए लगलाह आ हॅफैत हा हा के हसैत बजलाह हइए हम एखने चललियौ रौ भाइ जाइत छियैक हम आइए अपना घर के आगू मे मैथिली स्पोक मे बरका टा बोर्ड टांगि देबै आ ओहि बोर्ड मे लिख देबै मैथिली संगे अंग्रेजी फ्री मे सीखू। गजानन ओतए स आपीस आबि घरक आगू मे बरिका टा बोर्ड लगौलैन।
 सलीम आ डैनी दुनू गोटे कपरा किनबाक  लेल फटफटिया पर बैसी बजार जाइत रहै की सलीम बाजल भाइ हमरा त मैथिली सीखने का मन करैत अछि। एतबाक सुनि डैनी खूम जोर स हसैत बाजल ए भाइ अहा के दिमाग सठिया गया है की भगैठ गया है। कहू त सभ अंग्रेजी सीखता है आ बम्बई जैसन शहर मे अहा मैथिली सीखेगा। सलीम बाजल भाई अहा एतेक देरी स कोनो गप किएक बुझता है। हम सभ परदेश मे रहकर कमाइत छी लेकिन अप्पन भाषा ठीक से नहि बोलता है। कहू हम अहा यदि नहि बजेगा त आन लोक सभ केना बुझहेगा। फेर अप्पन भाषा संस्कृति के बिकास केना होगा। देखिए त मराठी सभ ओ अपना भाषा पहिने बजता है तब दोसर ठाम के भाषा। ई सुनि डैनी बाजल भाई अहा ठीके कहता है आब त हमरो मन होता ह ैजे मैथिली सीखेगा आ अपना धिया पूता के सेहो कहेगा जे मैथिली सीखू। फेर ओ सीविल सेवा के तैयारी सेहो कर सकता है। सलीम बाजल त देरी किएक करता है भाइ चलू ने अभिए मैथिली वला मामू के ताकि लेता है। दुनू गोटे फटफटिया फटफटबैत बिदा भेल। सलीम फटफटीय चलबै मे मगन रहैए आ डैनी तकैए मे डैनी अचके खूम जोर स हसैए लागल ओ हो भाइ मैथिली वला मामू के त देख लिया। सलीम बाजल कतए कतए जल्दी देखाउ। डैनी फेर हॅसैत बाजल भाइ अहा के आखि चोनहरा गया है कि हइए अपने आखि से देखू ने मैथिली स्पोकन के बोर्ड। सलीम तुरंत फटफयिा बंद कए उतरल बोर्ड देखि के बाजल ठीके मे भाइ अई ठाम त मैथिली संगे अंग्रेजी सेहो फ्री है त चलिए ने मामू के खोज पूछारी करिए लेता है।
                  गजानन बाबू कतेक दिन स विद्यार्थी सबहक बाट देखि रहल छलाह बैसल बैसल आंेघहि स झुकि रहल छलाह कि तखने सलीम आ डैनी हरबराएल पहुचल। सलीम बाजल ओ मामू  ओ मामू कि एतबाक मे गजानन अकचकाइत चहाक दिस उठलाह। सलीम बाजल हमरा मैथिली सीखने का मन है इ कहू मैथिली सीखाने वला मामू अहि है की। गजानन हरबड़ाइत बजलाह हम कोनो मामू वामू नहि छी हम त मैथिलीक मास्टर छी। डैनी बाजल अच्छा ठीक छै अहॉ कतेक पाई लेगा से कहू। गजानन बजलाह अहा दुनू गोटे पढ़नाइ शुरू करू तकरा बाद फीस अपना मन स दए देबै। इ सुनि सलीम बाजल भाई मामू त बड्ड नीक आदमी है जे बम्बई मे मैथिली सीखा पढ़ा देगा। अच्छा हम दुनू गोटे काल्हि स टीशन पढने आएगा। एतबाक मे गजानन बजलाह रूकू ने चाह पी लियअ त जाएब। डैनी बाजल नहि मामू हम सभ काल्हि स पढने आएगा त अहॉ के लिए चाह बिस्कुट सेहो नेने आएगा। बेस अखैन हम सभ चलता है प्रणाम।
ओ दुनू गोटे चलि गेल कि एतबाक मे कोइलख वाली काकी बजार स तीमन तरकारी किनने आपीस एलीह की गजानन चौअनिया मुसकान बजलाह आइ  त कि कहू कमाल भए गेलैए। काकी बजलीह मारे मुह धके अईं यै कोन खजाना हाथ लागि गेल जे खुशि स एक्के टागे नाचि रहल छी। हे यै कि कहू आइ दू टा विद्यार्थी मैथिली पढ़बाक गप कए के गेल काल्हि स ओ सभ टीशन पढ़ै लेल आउत। काकी आश्चर्य स अकचकैत बजलीह गे माए गे अहॉक कोचिग मे विद्यार्थी कहिया स यै। इ सुनि गजानन गरजैत बजलाह विद्यार्थी हमरा कोचिंग मे नहि त की अहाक रसोइ मे चाह बनेबाक लेल औतैह। काकी बजलीह हे यै हमही बिचाार देलहू आ अहा हमरे पर खउंझा रहल छी। एतबाक मे  गजनान खूम जोर स हा हा के हसैत बजलाह यै कोइलख वाली आब अहा देखैत जाउ मैथिली स्पोकन के कमाल आब कनि अहू टीशन पढ़ि लेब। काकी बजलीह ह यै किएक नहि हम त कहैत छी मैथिली पढ़ू लोके के सिखाउ आ अपनो मैथिली सीखू।

 लेखक - किशन कारीगर
              
                                   

परिचय:- जन्म- 5 मार्च 1983ई.(कलकतामे) मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दू माताक नाम-श्रीमती अनुपमा देवी। मूल निवासी- गाम-मंगरौना, भाया-अंधराठाढ़ी, जिला-मधुबनी (बिहार)। मैथिलीमे किशन कारीगर नामसॅं लेखन। मैथिलीमे लिखल नाटक आकाशवाणीसॅं प्रसारित। दर्जन भरि लघु कथा कविता आ राजनीतिक लेख सेहो प्रकाशित। वर्तमानमे आकशवाणी दिल्लीमे संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत। शिक्षाः- एम. फिल. (पत्रकारिता) आ बी. एड. कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्रसॅं।






जून 12, 2011

सेहनता - किशन कारीगर

सेहन्ता ।

हमरो छल एकटा सेहन्ता औ बाबू
कहियो त उठी कहब अहाँ
आब उठू यौ बौआ भेलैए भोर
अहाँक दोस महीम कए रहल छथि सोड़।।

हिचुकै हिंचुकै एसगर हम कनैत छलहु
देखितहुँ अहाँ से छुटि नहि भेल
हालो चाल त पुछितहुँ हमर
मुदा कहियो अहाँ के सेहन्तो नहि भेल।।

हमर सेहन्ता एकटा सपने रहि गेल
कहियो अहाँक हृदय मे हमर स्नेह नहि भेल
कहियो ने दुलार कए उठेलहु हमरा औ बाबू
विधतो केलैन किस्मतक केहेन खेल।।

सोझहे पाईए टा दए देला सँ
बापक फर्ज़ नहि पूरा भए जायत छैक
हमरो बाप केखनो दुलार करितैथ हमरा
अहिं कहू केकरा ने सेहन्ता होइत छैक।।

एहेन विरान जिनगी सँ नीक
हमरा जनमैते किएक नहि मारि देलहु
अपने मगन मे रहलहुँ सब दिन
कुहसैत एसगर हमरा किएक छोड़ि देलहुँ।।

माएक आँचर बापक साया दूनू गोटे
कोनो छोट नेनाक होइत अछि छाया
मुदा केहेन निष्ठुर भेलहु अहाँ
आई धधकि रहल अछि हमर काया।।

हमर किलकारीक गूँज सुनि
कहियो दौगल अबितहुँ अहाँ
कोरा मे लए हमरा दुलार करितहुँ
मुदा कहियो ऐहेन सेहन्ता भेल कहाँ।।

नेनापन के हमर सबटा सेहन्ता
एकटा सपने रहि गेल
मुदा आबो बिचार कए देखू
कहियो अहाँक मुहो मलीन नहि भेल।।

किएक से अहि कहू
हम कोन अपराध केने रही
हमर सबटा सख मनोरथ के बिसैर
अहाँ अपने मगन मे रही।।

हमरा सँ नीक कोनो अनाथ सँ पूछु
केहेन बेबस होइत छैक ओकर जिनगी
अहाँक जिबैतो हम छी अनाथ
एहने बेबस भए गेल हमर जिनगी।।

केहेन वीरान जिनगी भए गेल
आब नहि अछि कोनो सेहन्ता
सबहक बाप सभ केँ  दुलार पुचकार करैथ
आब एतबाक अछि कारीगर के सेहन्ता।।

लेखक:- किशन कारीगर।




जून 01, 2011

गरीब - किशन कारीगर


ग़रीब ।

हम छी गरीब
नहि आब दैत छथि
हमरा कियो अपना करीब
किएक त हम छी गरीब।।

भरि दिन भूखले रहि केँ
किछु काज राज करैत छी
मुदा तइयो दू टा रोटी
लिखल नहिं अछि हमरा नसीब।।

जेकरे मौका भेटैत छन्हि
वैह हमर शोषण करैत अछि
किछु बाजब त बोइनो नहि भेटत
डरे हम किछु नहि बजैत छी।।

डेग डेग पर भ्रष्टाचार
एसगर हम केकरा सँ लड़ब
धिया पूता अन्न बिनू बिलैख रहल अछि
कहू कोना के हम जिअब।।

ठिकेदारो हमरे कमाई लूटि रहल अछि
जेबी मे नहि अछि एक्को टा टाका
नून रोटी खा कहूना के रहि जइतहुँ
मुदा बढ़ल मँहगाई गरीबक घर देलक डाका।।

टाकाक अभाव मे आब हम
बनि गेलहुँ अस्पतालक मरीज
डॉक्टरो हमरा देखी कहैत छथि
तू दूरे रह नहि आ हमरा करीब।।

विधाता केहेन रचना केलैन
जे हमरा बनौलन्हि गरीब
नहि आब दैति छथि
हमरा कियो अपना करीब।।

आब अहिं कहू यौ समाजक लोक
अधपेटे कोनो जीबैत छी हम
गरीबिक दुशचक्र अछि घेरेने
जिनगी जीबाक आस भेल आब कम।।

जी तोड़ मेहनत करैए चाहैत छी
मुदा कतए भेटत सब दिन काज
काज भेटलो पर होइत अछि शोषण
एना मे कोना करब धीया पूताक पालन पोषण।।

साँझ भिंसर दू टा रोटी भेटैए
एतबाक आस लगेने अछि गरीब
निक निकौत सेहन्तो नहि सोचैत छी
किएक त हम छी गरीब।।

लेखक:- किशन कारीगर।

मई 02, 2011

गजल

ग़ज़ल

हमरा दिल के तोड़ि देलहुँ
हमरा सँ मुह मोड़ि लेलहुँ
छोड़ि क एसगर हमरा अहाँ
हमरा सँ दूर कतहु चलि गेलहुँ ।।

मोनक बात मोने मे रखलहुँ
कहियो अहाँ स नहि कहलहुँ
दूइए दिनक भेंट घांट मे
प्रेम अहाँ स कए लेलहु।।

बाट अहाक तकैत रहलहुँ
मुदा अहाँ नहि अएलहुँ
दूर जाकए हमरा स अहाँ
हमरा मोन के तड़पबैत रहलहुँ।।

याद सताबैए अहाँक त
मोन पड़ैए ओ सभ दिन
जहिया रहैत छलहुँ अहाँ
हमरा स बड्ड खिन्न।।

सपना मे अहिं के देखैत रहलहुँ
अहिंक वियोग मे तड़पैत रहलहुँ
मुदा किशन सन प्रेमी केँ अहाँ
अनपढ़ गंवार बुझैत रहलहुँ ।।

जहिए देखलहुँ एक नज़र अहाँ के
तहिए मोन मे बसि गेलहुँ अहाँ
मुदा हमरा पवित्र प्रेम के
अहाँ नहि बुझि सकलहुँ ।।

आब बुझहब मे आबि रहल अछि हमरा
अहाँक प्रेम मे हम की नहि केलहुँ
मुदा तइयो हमरा मधुबनी मे छोड़ि अहाँ
हमरा स दूर कतहु चलि गेलहुँ ।।

दिल सँ हम साँचो प्रेम केने रही
अहू त ई गप हमरा एक बेर कहने रही
मुदा किएक से अहिं कहू
हमरा सँ दूर अहा कतए चलि गेलहुँ ।।

ज अहू साँचो के प्रेम केने होएब
त मोन पड़ैत होएब हम
मोन सँ निकलैत होयत एकटा गप
कारीगर अहाँ संगे ई की केलहुँ हम।।

हृद्य सँ प्रेम केनिहार बुझहत
प्रियतम सँ दूर हेबाक वियोग
कोना क हम सहलहुँ कनेक अहू बुझहू
निश्छल प्रेम केन रही सभ दिन त कहलहुँ ।।

लेखक:- किशन कारीगर।

अप्रैल 14, 2011

किछु त हम करब


किछु त हम करब
अवस्था भेल हमर आब बेसी टूघैर टूघैर हम चलब
अहाँ आगू आगू हम पाछू पाछू मुदा अपना माटि पानि लेल किछु त हम करब नुनु  बौआ अहाँ  आऊ
बुचि दाय अहूँ आऊ दुनू गोटे मिली जल्दी सँ
मैथिली में किछु खिस्सा सुनाऊ
नान्ही टा में बजलौहं एखनो बाजू मातृभाषा में बाजू अहाँ निधोख कनि अहाँ बाजू कनेक हम बाजब नहि बाजब त कोना बुझहत लोक परदेश जायत मातर किछु लोग बिसैर जायत छित मातृभाषा कें
अहिं बिसैर जायब त आजुक नेना कोना बुझहत
कहें मीठगर स्वाद होयत अछि मातृभाषा कें अप्पन माटि पानि अप्पन भाषा संस्कृति
पूर्वज के दए गेल एकटा अनमोल धरोहर एही धरोहर के हम बंचा के राखब
अपना माटी पानि लेल किछु त हम करब कोना होयत अप्पन माटिक आर्थिक विकास सभ मिली एकटा बैसार करू कनेक सोचू सभहक अछि एकटा इ दायित्व किछु बिचार हम कहब किछु त अहूँ कहू हमरा अहाँक किछु कर्तब्य बनैत अछि एही परम कर्तब्य सँ मुहँ नहि मोडू स्नेह रखू हृदय में सभ के गला लगाऊ
अपना माटी पानि सँ लोक के जोडू समाजक लोक अपने में फुट्बैल करैत छथि
मनसुख देशी त धनसुख परदेशी एक्के समाज में रहि ऐना जुनि करू एकजुट हेबाक प्रयास आओर बेसी करू एक भए एक दोसरक दुःख दर्द बुझहब
अनको लेल किएक ने कतेको दुःख सहब
आई एकटा एहने समाजक निर्माण करब जीबैत जिनगी किछु त हम करब हाम्रो अछि एकटा सेहनता एक ठाम बैसी
सभ लोक अपन भाषा में बाजब औरदा अछि आब कम मुदा जीबैत जिनगी अपना माटी पानि लेल किछु त हम करब
लेखक - किशन कारीगर

अप्रैल 03, 2011

कक्का हमर उचक्का ।

    कक्का हमर उचक्का
                     होली पर हास्य कविता


ओंघराइत पोंघराइत हरबड़ाइत धड़फराइत धांई दिस
बान्हे पर खसलाह कक्का हमर उचक्का
होरी मे बरजोरी देखी मुस्की मारैत
काकी मारलखिन दू-चारि मुक्का।।

धिया-पूता हरियर पीयर रंग सॅं भिजौलकनि
बड़की काकी हॅसी घिची देलखिन धोतीक ढे़का
पिचकारी मे रंग भरने दौगलाह हमर कक्का
अछैर पिछैर के बान्हे पर खसलाह कक्का हमर उचक्का।।

होरी खेलबाक नएका बसंती उमंग
ततेक गोटे रंग लगौलकनि मुॅंह भेलैन बदरंग
काकी के देखैत मातर कक्का बजलाह
आई होरी खेलाएब हम अहींक संग।।

कक्का के देखैत मातर काकी निछोहे परेलीह बजलीह
होरी ने खेलाएब हम कोनो अनठीयाक संग
जल्दी बाजू के छी अहॉं नहि मुॅंह छछारि देब
घोरने छी आई हम करिक्का रंग।।

भाउजी हम छी अहॉक दुलरूआ दिअर
होरी खेला भेल छी हम लाल पिअर
आई भैयओ नहि किछू बजताह जल्दी होरी खेलाउ
एहेन मजा फेर भेटत नेक्सट ईअर।।

सुहर्दे मुॅंहे मानि जाउ यै भाउजी
नहि करब हम कनि बरजोरी
होरी मे अहॉ जबान बुझाइत छी
लगैत छी सोलह सालक छाउंड़ी।।

आस्ते बाजू अहॉक भैया सुनि लेताह
कहता किशन भए गेल केहेन उचक्का
केम्हरो सॅ हरबड़ाएल धड़फराएल औताह
छिनी फेक देताह हमर पिनी हुक्का।।

आई ने मानब हम यै भाउजी
फुॅसियाहिक नहि करू एक्को टा बहन्ना
आई दिउर के भाउजी लगैत अछि कुमारि छांउड़ी
रंग अबीर लगा भिजा देब हम अहॉक नएका चोली।।

ठीक छै रंग लगाउ होरी मे करू बरजोरी
आई बुरहबो लगैत छथि दुलरूआ दिअर
सुनि पुतहू के भाउजी बुझि होरी खेलाई लेल
बान्हे पर दौगल अएलाह कक्का हमर उचक्का।।

लेखक:- किशन कारीगर ।

               
                                   
परिचय:- जन्म- 19830(कलकता में) मूल नाम-कृष्ण कुमार रायकिशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दू माताक नाम-श्रीमती अनुपमा देबी।मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी, जिला-मधुबनी (बिहार)। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम. फिल(पत्रकारिता) एवं बी. एड कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।