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दिसंबर 31, 2010

आबि गेल नब वर्ष -किशन कारीगर

आबि गेल नव वर्ष।

प्रणाम-प्रणाम औ भाई कि भेल औ भाई
हृदयक स्नेह पठा रहल छी औ भाई।
आबि गेल नव वर्ष मंगलमय संसार हुए
विश्व शांति लेल मंगल कामना करैत छी औ भाई।।

नव वर्षऽक नएका-नएका बसंती उमंग
सभ मिली बनभोज करब दोस महीमक संग।
हम बजाएब ढ़म ढ़म ढ़ोल अहॉ गाउ गीत
कक्का खुशी सॅं बजा रहल छथि मृदंग।।

कक्का बजलाह कहू की हाल-चाल
काकी बजलीह आबि गेल नवका साल।
आई सभ मिली एक संगे खशी मनाएब
हृदयक स्नेह हम सभ केॅं पठाएब।।

नवका आंगी नवका नुऑं
नवकी कनियॉं पुरी पकाबैए।
बुढ़बा बाबा बड़-बड़ बाजैए
धिया-पूता खूम उधम मचाबैए।।

पठबैत छी किछू नव-नव सनेश
ई सनेश अहॉं सहज स्वीकार करू।
नव वर्षऽक अछि सादर शुभकामना
सदखनि अहॉं हॅसैत मुस्कुराइत रहू।।

जहिना चमकै छै चकमक चॉंद
ओहिना अहॉं चमकैत रहू।
एतबाक करैत छी हम कामना अपना माटि-पानि लेल
किछू सार्थक काज करैत रहू।।
लेखक:- किशन कारीग़र

दिसंबर 09, 2010

हाकिम भ गेलाह -किशन कारीगर

हाकिम भऽ गेलाह

किएक चिन्हता आब कका
ओ तऽ हाकिम भऽ गेलाह
अबैत रहैत छथि कहियो कऽ गाम
मुदा अपने लोक सॅं अनचिन्हार भऽ गेलाह।

जूनि पूछू यौ बाबू हाकिम होइते
ओ कि सभ केलाह
बूढ़ माए-बाप के छोड़ि कऽ एसगर
अपने शहरी बाबू भऽ गेलाह।

आस लगेने माए हुनकर,गाम आबि
बौआ करताह कनेक टहल-टिकोरा
नहि परैत छनि माए-बाप कहियो मोन
मुदा खाई मे मगन छथि पनीरक पकौड़ा।

झर-झर बहए माएक ऑंखि सॅं नोर
किएक नहि अबै छथि हमर बौआ गाम
मरि जाएब तऽ आबिए के कि करबहक
हाकिम होइते, किएक भेलह तांे एहेन कठोर

ई सुनतैंह भेल मोन प्रसन्न
जे अबैत छथि कका गाम
भेंट होइते कहलियैनि कका यौ प्रणाम
नहि चिनहलिअ तोरा बाजह अपन नाम।


ऑंखि आनहर भेल कि देखैत छियै कम
एना किएक बजैत छह बाजह कनेक तूंॅ कम
आई कनेक बेसिए बाजब हम
अहू तऽ होएब बूढ़ औरदा अछि कनेक कम।


कि थीक उचित कि थीक अनुचित
मोन मे कनेक अहांॅ विचार करू
‘किशन’ करत एतेबाक नेहोरा
जिबैत जिनगी माए-बापक सतकार करू।

नहि तऽ टुकूर-टुकूर ताकब एसगर
अहिंक धिया पूता अहॉं के देख परेता
बरू जल्दी मरि जाए ई बूढ़बा
मोने-मोन ओ एतबाक कहता।


लेखक:- किशन कारीग़र

दिसंबर 01, 2010

बँटवारा -किशन कारीगर

बँटवारा

कियो धर्मक नाम पर कियो जातिक नाम पर
कियो पैघक नाम पर कियो छोटक नाम पर
एहि समाजक किछू भलमानुस लोक
अपने मे कऽ लेने छथि बँटवारा।

हे यौ समाजक कर्ता-धर्ता लोकनि
किएक करेलहुॅं अपने मे बटवारा
आई धरि की भेटल एतबाक ने
छोट पैघक नाम पर अपने मे मैथिलक बॅंटवारा।

आई धरि शोक संतापे टा भेटल
आबो तऽ बंद करू एहेन बँटवारा
नहि तऽ फेर अलोपित भ जाएत
मिथिलांचलक एकटा ओ मैथिल धु्रवतारा।

हे यौ मिथिला केर मैथिल
जूनि करू अपने मे बँटवारा
ई मिथिला धाम सबहक थिक
एक दोसर केर सम्मान करू ई बड्ड निक।

हम कहैत छी मैथिलक कोनो जाति नहि
सभ गोटे एक्के छथि मिथिलाक धु्रवतारा
नहि कियो पैघ नहि कियो छोट
आई सभ मिलि लगाउ एकटा नारा।

कहबैत छी बुझनुक मनुक्ख मुदा
बँटवारा कऽ तकैत छी अपने टा सूख
एक बेर सामाजिक एकता लेल तऽ सोचू
गोत्र सगोत्रक फरिछौट मे आबो तऽ ओझराएब छोरू।

हम छी मिथिला केर मैथिल
हमर ने कोनो जाति अछि
सभ मिली मिथिला केर मान बढ़ाएब
आई सभ सॅं "किशन" एतबाक नेहोरा करैत अछि।

एक्कईसम शताब्दी नवका एकटा ई सोच
नहि कोनो भेदभाव नहि कोनो जाति-पाति
सभ मिली हॅसी खुशी सॅं करब एकटा भोज
एक्के छी सभ मैथिल गीत गाउ आई भोरे-भोर।

सबहक देहक खून एक्के रंग लाल अछि
मुदा तइयो जातिक नाम पर बँटवारा भऽ गेल अछि
सपत खाउ आ सभ मिली लगाउ एकटा नारा
आब नहि करब धर्म जातिक नाम पर हिंदुस्तानक बँटवारा।



लेखक:- किशन कारीग़र


परिचय:- जन्म- 1983ई0(कलकता में) मूल नाम-कृष्ण कुमार राय ‘किशन’। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय ‘नन्दू’ माताक नाम-श्रीमती अनुपमा देबी।
मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी, जिला-मधुबनी (बिहार)। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम. फिल(पत्रकारिता) एवं बी. एड कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।

नवंबर 14, 2010

एकटा त ओ छलीह

एकटा तऽ ओ छलीह।

कनैत छलहूॅं माए गे माए-बाप रौ बाप
हे रौ नंगट छौंड़ा रह ने चुपचाप
नूनू बाबू कऽ ओ हमरा चुप करा दैत छलीह
एकटा तऽ ओ छलीह।

बापे-पूते के कनैत छलहूॅं कखनो तऽ
ओ हमरा दूध-भात खुआ दैत छलीह
बौआक मूहॅं मे घुटूर-घुटूर कहि ओ
अपन ऑंखिक नोर पोछि हमरा हॅसबैत छलीह।

खूम कनैत-कनैत केखनो हम बजैत छलहूॅं
माए गे हम कोइली बनि जेबउ
नहि रे बौआ निक मनुक्ख बनि जो ने
आओर कोइली सन बोल सभ के सुनो ने।

केखनो किछू फुरायत छल केखनो किछू
नाटक मे जोकर बनि बजैत छलहूॅं बुरहिया फूसि
मुदा तइयो ओ हॅंसि कऽ बजैत छलीह
किछू नव सीखबाक प्रयास आओर बेसी करी।

रूसि कऽ मुहॅं फुला लैत छलहूॅं
तऽ ओ हमरा नेहोरा कऽ मनबैत छलीह
कतो रही रे बाबू मुदा मातृभाषा मे बजैत रही
अपना कोरा मे बैसा ओ एतबाक तऽ सीखबैथि छलीह।





मातृभाषाक प्रति अपार स्नेह गाम आबि
नान्हि टा मे हुनके सॅं हम सिखलहूॅं
गाम छोड़ि परदेश मे बसि गेलहूॅं
मुदा मैथिलीक मिठगर गप नहि बिसरलहूॅं।

अवस्था भेलाक बाद ओ तऽ चलि गेलीह ओतए
जतए सॅं कहियो ओ घूमि कऽ नहि औतीह
मुदा माएक फोटो देखि बाप-बाप कनैत छी
मोन मे एकटा आस लगेने जे कहियो तऽ बुरहिया औतीह।

समाजक लोक बुझौलनि नहि नोर बहाउ औ बौआ
बुरहिया छेबे नहि करैथि एहि दुनियॉं मे
तऽ कि आब ओ अपना नैहर सॅं घूरि कऽ औतीह
मरैयो बेर मे बुरहिया अहॉं कें मनुक्ख बना दए गेलीह।

बुरहियाक मूइलाक बाद आब मइटूगर भए गेल किशन’
ओई बुरहिया के हम करैत छी नमन
अपन विपैत केकरा सॅं कहू औ बौआ
कियो आन नहि ओ बुरहिया तऽ हमर माए छलीह।


लेखक:- किशन कारीग़र


परिचय:- जन्म- 1983ई0(कलकता में) मूल नाम-कृष्ण कुमार राय ‘किशन’। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय ‘नन्दू’ माताक नाम-श्रीमती अनुपमा देबी।मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी, जिला-मधुबनी (बिहार)। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम. फिल(पत्रकारिता) एवं बी. एड कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।