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जनवरी 23, 2012

बीर जबान


       बीर जबान

 मातृभूमीक रक्षा लेल
शहीद भऽ जाइत छथि बीर जबान
समहारने छथि ओ देशक सीमान
नमन करैत छी हम, अहॉ छी बीर जबान।

मरब की जीयब
तेकर नहि रहैत छनि हुनका धियान
मुदा, देशक रक्षा लेल ओ सदखनि
न्योछाबर करैत छथि अपन जान।

सैनिक छथि ओ इन्सान
देशक दुशमन पर रखैत छथि धियान
आतंकवादीक छक्का छोड़ा दैत छैक
परमवीर छथि, हिन्दुस्तानक बीर जबान।

महान छथि ओ बीर जबान, देशक खातिर
जे हॅंसैत-हॅंसैत देलथिहिन अपन बलिदान
भारतवासी गर्व करैत अछि अहॉ पर
नहि बिसरत कहियो अहॉक त्याग आओर बलिदान।

सीमा पार सॅं, केलक आतंकी हमला
कऽ देलियै आतंक के मटियामेट अहॉं
भऽ गेलहुॅं अपने लहु-लुहान मुदा
आतंक सॅं बचेलहुॅं सभहक जान

कारगील सॅ कूपवाड़ा तक
आतंकवादी सॅं लैत छी अहॉं टक्कर
अहॉंक बीरता देखी कऽ
अबैत छैक ओकरा चक्कर।

बीर जबान यौ बीर जबान
समहारने छी अहॉं देशक सीमान
कोना कऽ हेतै देशक रक्षा
सदखनि अहॉ रहैत छी हरान।


लेखक:- किशन कारीग़र
      
  संवाददाता, आकाशवाणी दिल्ली

जनवरी 22, 2012

नोर झहरि रहल छल।



नोर झहरि रहल छल।

बहिन उठि नैहर सँ सासुर बिदा भेलीह
बपहारि काटि कानि रहल छलीह
हमहू बाप बाप कानि रहल छलहुँ
आखि सँ टप टप नोर झहरि रहल छल।

माए गे माए भैया औ भैया
एसगर हम आब जा रहल छी
भरदुतिया मे आएब अहाँ
एतबाक आस लगेने हम जा रहल छी।

छूटल नैहर केर सखी बहिनपा
आब मोन पड़त सब साँझ भिंसरबा
छूटल बाबू केर दुअरिया
डोली उठा ल चल हो कहरबा।

जाउ जाउ बहिन जाउ अहाँ अपना गाम
भरदुतिया मे आएब हम अहाँक गाम
माए हमर पुरी पका कए देतीह
हम नेने आएब चिनीया बदाम ।

जुनि कानू बहिन पोछू आखिक नोर
आब सासुर भेल अहाँक अप्पन गाम
सास ससुर केर सेबा करब
व्यर्थ समय गमा नहि करब अराम।

जेहने अप्पन माए बाप
तेहने सास ससुर
नहि करब कहियो झग्गर दन
लोक लाज केर राखब धियान।

भैया यौ भैया अहाँ ठीके कहैत छी
नहि करब हम केकरो स झगरदन
सभ सँ मिली जुलि के हम रहब
गृहलक्ष्मीक दायित्व केर करब निरवहन।

मुदा कोना क कहू औ भैया
छूटल नैहर बिदा भेल छी सासुर
माए कनैत अछि बाबू के लगलैन बुकोर
टप टप झहरि रहल अछि आखि सँ नोर।

धैरज राखू बहिन जाउ एखन अपना गाम
राखि मे चलि आएब नैहर बाबू केर गाम
हसी खुशी सँ गीत गाएब
सभ सखी मिली समा चकेबा खेलाएब।

सभ के प्रणाम क बहिन बिदा भेलीह
मुदा स्नेह स कानि रहल छलीह
दुनू भाए बहिन कानि रहल छलहु
आखि सँ टप टप नोर झहरि रहल छल।



लेखक:- किशन कारीगर

जनवरी 14, 2012

पुरस्कार लऽ के नाचू


  पुरस्कार लऽ के नाचू

केकरो स चिन्हा परिचे अछि कारीगर
नहि यौ सरकार तऽ अहिं कहू की हम करू
त आउ हमरे स चिन्हा परिचे कए लियअ
आ पुरस्कार लऽ के नाचू।

अपने कुटुम बैसल छथि
अकेडमी आ चयन बोर्ड मे
लिख्खा परही करबाक कोन काज
तिकड़मबाजी कए लगबै छी पुरस्कारक भाँज।

हिनके कृपा स भेटल पुरस्कार
खुशी स लागल बोखार
कविता कहानी तऽ तेरहे बाईस मुदा
पुरस्कार लेल लगेलहुँ खूम जोगार।

अहाँ जे लिखलहुँ कारीगर
ओ लागल बड्ड नूनगर
मुदा बिनमतलबो हम जे लिखलियै
ओ लागल बड्ड चहटगर।

बिनमतलब के कथा साहित्य पर
अकेडमी सँ एक दिन आयल हकार
कुटुम बैसले रहथि ओहि ठाम
टटके भेटल पुरस्कार।

आन कतबो नीक किएक ने लिखलक
मुदा ओकरा ने कहियो आएत हकार
नहि छै ओकरा कोनो चिन्हा परिचे
पिछलगुआ टा के जल्दी भेटत पुरस्कार।

पुरस्कारक बदरबाँट भऽ रहल अछि
जाति वर्गक नाम पर लेखक के बाँटू
जूनि पछुआउ पिछलगुआ सभ आउ आगू
अहाँ पुरस्कार लऽ के खूम नाचू।

साहित्यक मठाधीश सभ
शुरू केलैन पुरस्कार
यथार्थवादी चितंक आ लिखनिहार
हुनका लेल भऽ गेलैथ बेकार।

एक्को मिनट देरी नहि अहाँ करू
हुनके गुणगान कए कथा अहाँ बाचू
नहि तऽ जिनगी भरि पाछुए रहि जाएब
पुरस्कारक जोगार मे जीजान स लागू।

अहि दुआरे पछुआले रहि गेल कारीगर
कहियो ने केलक केकरो आगू-पाछू
देखैत छियै आब हम दोसर पुरस्कार दुआरे
जोगार लगा करैत छी हुनकर आगू-पाछू।

बेस त बड्ड बढ़िया हम शुभकामना दैत छी
दोसर पुरस्कार अहाँ के जल्दीए भेट जाए
जल्दी जोगार मे अहाँ लागू
अहाँ पुरस्कार लऽ के खूम नाचू।

लेखकः- किशन कारीगर