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फ़रवरी 10, 2011

किडनी चोर -किशन कारीग़र

     किडनी चोर।

देखू-देखू केहेन जमाना आबि गेल
मनुखक हृदय भऽ गेल केहेन कठोर
सभ सॅं मुॅंह नुकौने, चुपेचाप
भागि रहल अछि एकटा किडनी चोर।

डॉक्टर भऽ के करैत अछि डकैति
कोनो ग़रीबक बेच लैत अछि किडनी
पुलिस तकैत अछि ओकरा इंडिया मे
मुदा ओ परा जाइत अछि सिडनी।

कोनो ग़रीबक किडनी बेचि कऽ
संपति अरजबाक केहेन ई अमानवीय भूख
केकरो मजबूरीक फायदा उठा कऽ
डॉक्टर तकैत अछि खाली अपने सूख।

केकरो जिनगी बॅंचौनिहार डॉक्टर रूपयाक लोभ में
बनि गेल आब किडनी चोर
छटपटा रहल अछि एकटा गरीबक करेजा
कनैत-कनैत सूखा गेलै ओकर ऑंखिक नोर।

मनुख आब केहेन लोभी भऽ गेल
आब ओ किडनी बेचब सेहो सीख गेल
राता-राति अमीर बनबाक सपना देखैत अछि
रूपया खातीर ओ किछू कऽ सकैत अछि।

मनुख भऽ के मनुखक घेंट काटब
कोन नगर में सिखलहुॅं अहॉं
आबो तऽ, बंद करू किडनी बेचबाक धंधा
मानवताक नाम सगरे घिनेलहुॅं अहॉं।

कोनो गरीबक किडनी बेचि कऽ
महल अटारी बनाएब उचित नहीं थीक
एहेन डॉक्टरीक पेशा सॅं कतहू
मजूरी बोनिहारी करब बड्ड नीक।

हम अहिं के कहैत छी यौ किडनी चोर
एक बेर अपने करेजा पर छूरी चला कऽ देखू
कतेक छटपटाइत छैक करेजा
एक बेर अपन किडनी बेचि कऽ तऽ देखू।

 लेखक:- किशन कारीग़र
               

परिचय:-जन्म- 19830 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दूमाताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी। मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि।वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र  विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।

नबकनियाँ - किशन कारीगर


        नबकनियाँ

मोन रखियौ कनेक हमरो पिया
सोलहो सिंगार कए बैसल छी हम एसगर
भेंट होएब कहिया अहॉ मोन मे आस लगेने
अहॉक बाट तकैत छी हम एसगर।

कौआ कूचरल भोरे-भोर
चुपेचाप हमरा केलक सोर
कहलक जल्दीए औतहुन तोहर ओझा
लिपिस्टीक लगा हम रंगलहुॅ अपन ठोर।

परदेश जाइत-मातर यौ पिया
किएक बिसैर जाइत छी नबकनियॉ के
नहि बिसरब कहियो परदेश मे हमरा
सपत खाउ हमरा पैरक पैजनीयॉं के।

जूनि रूसू अहॉ सजनी नहि घबराउ यै
मोन पड़ैत छी अहॉ तऽ लगैत अछि बुकोर यै
मुदा कि करू नहि भेटल तनखा समय पर
नहि किनलहुॅ अहॉंक लेल लहंगा पटोर यै।

साड़ि पहिर हम गुजर कए लेब
नहि चाहि हमरा राजा लहंगा पटोर यौ
अहॉक सुख-दुख मे रहब सहभागी
देखितहुॅं अहॉ के ऑखि सॅ झहरैत अछि नोर यौ।

अहिंक बियोग मे दिन राति जरैत छी
इजोरिया मे टुकूर-टुकूर अहिं के देखैत छी
अहिंक संग एहि बेर घूमब चैतीक मेला
मोने मोन हम एतबाक नियार करैत छी।

बड्ड केलहुॅं नियार अहॉ आबि कऽ देखू
मुस्की माइर रहल छी हम चौअनियॉं
जल्दी चलि आउ गाम यौ पिया
चिªट्ठी लिख रहल अछि एकटा नबकनियॉं।


 लेखक:- किशन कारीग़र
              
                                   
परिचय:-जन्म- 19830 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दूमाताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी। मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।






पिअक्कर- किशन कारीगर

          
पिअक्कर।

सॉझ पड़ैत देरी पीब कऽ ओंघरा जाइत छी
हम छी पीअक्कर।
पढ़लाहा लिखलाहा के मूर्ख बूझैत
अपना के बुझैत छी लाल बुझऽक्कर।
धिया.पूता पढ़ैत अछि किनैंहि
तेकर नैंहि करैत छी हम खोज
मुदा पिबैत छी हम रोज।
अपन काज छोड़ि कैं
व्यर्थ हम घूमैत रहैत छी
केहेन छी हम घूमक्कर हम छी पीअक्कर।
पाई सधहेलौं दारू में
भऽ गेलौंह हम फक्कर
महाजनक कर्ज देखि कऽ
अबैत अछि हमरा चक्कर।
लाधहल अछि हमरा माथ पर कर्जाक पहाड़
लगबैत छी कोर्ट कचहरीक चक्कर
किएक तऽ हम छी पिअक्कर।
सॉझ पड़ैत देरी पीब कऽ ओंघरा जाइत छी
हम छी पीअक्कर।
एखने हम शपत खाईत छी
 जे हम नैंहि आब पीयब
किएक कहत आब कियो हमरा पिअक्कर।
धिया.पूता के निक स्कूल कॉलेज में पढ़ाएब
एहि लेल तऽ एलगबैत छी मधुबनी दरभंगाक चक्कर।


लेखक:- किशन कारीग़र

 
परिचय:- जन्म- 19830 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दू माताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी।   मूल निवासी-ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी] जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र  के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक, आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं लघु कथा कविता राजनीतिक  लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी।शिक्षाः-एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।






       
         






हमरो जीबऽ दिअ- किशन कारीग़र




हमरो जीबऽ दिअ



कोइखे मे छटपटा रहल छी हम

ई दुनियॉं हमरो देखऽ दिअ

बेटी भऽ के जनम लेनहि कोनो अपराध नही

बाबू यौ, ई जिनगी हमरो जिबऽ दिअ।



डाक्टरक आला कहि रहल अछि

नहि बचतहु आब तोहर प्राण

अल्ट्रªासाउण्डक रिपोट, किछूएक काल मे

आब लए लेतहु तोहर जान।



करेलहुॅं अल्ट्रªासाउण्ड यौ बाबू

मुहॅ भेल अहॉक मलीन

डाक्टर संगे केलहुॅ ई प्लान

कोइखे में एहि बेटी के, कए दिहक क्लीन।



हम बूझैत छी, हमरा जनमलाक बाद

नहि बॉंटब अहॉं जिलेबी बुनियॉं

दुखित भेल अछि मोन अहॉक, नहि आनब

हमरा माए लेल, नाक केर नथुनियॉं।



जॅ होइतहॅंू हम बेटा

करितहुॅं अहॉ सगरे अनघोल

अरोसी-पड़ोसी शुभकामना दितैथि

रसगुल्ला बॅटितहुॅ अहॉ टोले-टोल।



बेटीक जनम भेला पर,एहेन बेईमानी किएक?

आई किछू हमरो कहऽ दिअ

बेटी भऽ के जनम लेनहि कोनो अपराध नहि

बाबू यौ, ई जिनगी हमरो जिबऽ दिअ।



ई कविता विदेह में प्रकाशित भेल अछि।







लेखक:- किशन कारीग़र






परिचय:-जन्म- 1983ई0 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन’। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दू’माताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी। मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।