पिअक्कर।
सॉझ पड़ैत देरी पीब कऽ ओंघरा जाइत छी
हम छी पीअक्कर।
पढ़लाहा लिखलाहा के मूर्ख बूझैत
अपना के बुझैत छी लाल बुझऽक्कर।
धिया.पूता पढ़ैत अछि किनैंहि
तेकर नैंहि करैत छी हम खोज
मुदा पिबैत छी हम रोज।
अपन काज छोड़ि कैं
व्यर्थ हम घूमैत रहैत छी
केहेन छी हम घूमक्कर हम छी पीअक्कर।
पाई सधहेलौं दारू में
भऽ गेलौंह हम फक्कर
महाजनक कर्ज देखि कऽ
अबैत अछि हमरा चक्कर।
लाधहल अछि हमरा माथ पर कर्जाक पहाड़
लगबैत छी कोर्ट कचहरीक चक्कर
किएक तऽ हम छी पिअक्कर।
सॉझ पड़ैत देरी पीब कऽ ओंघरा जाइत छी
हम छी पीअक्कर।
एखने हम शपत खाईत छी
जे हम नैंहि आब पीयब
किएक कहत आब कियो हमरा पिअक्कर।
धिया.पूता के निक स्कूल कॉलेज में पढ़ाएब
एहि लेल तऽ एलगबैत छी मधुबनी दरभंगाक चक्कर।
लेखक:- किशन कारीग़र
।
परिचय:- जन्म- 1983ई0 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन’। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दू’ माताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी। मूल निवासी-ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी] जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक, आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी।शिक्षाः-एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।
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