हमरो जीबऽ दिअ
कोइखे मे छटपटा रहल छी हम
ई दुनियॉं हमरो देखऽ दिअ
बेटी भऽ के जनम लेनहि कोनो अपराध नही
बाबू यौ, ई जिनगी हमरो जिबऽ दिअ।
डाक्टरक आला कहि रहल अछि
नहि बचतहु आब तोहर प्राण
अल्ट्रªासाउण्डक रिपोट, किछूएक काल मे
आब लए लेतहु तोहर जान।
करेलहुॅं अल्ट्रªासाउण्ड यौ बाबू
मुहॅ भेल अहॉक मलीन
डाक्टर संगे केलहुॅ ई प्लान
कोइखे में एहि बेटी के, कए दिहक क्लीन।
हम बूझैत छी, हमरा जनमलाक बाद
नहि बॉंटब अहॉं जिलेबी बुनियॉं
दुखित भेल अछि मोन अहॉक, नहि आनब
हमरा माए लेल, नाक केर नथुनियॉं।
जॅ होइतहॅंू हम बेटा
करितहुॅं अहॉ सगरे अनघोल
अरोसी-पड़ोसी शुभकामना दितैथि
रसगुल्ला बॅटितहुॅ अहॉ टोले-टोल।
बेटीक जनम भेला पर,एहेन बेईमानी किएक?
आई किछू हमरो कहऽ दिअ
बेटी भऽ के जनम लेनहि कोनो अपराध नहि
बाबू यौ, ई जिनगी हमरो जिबऽ दिअ।
ई कविता विदेह में प्रकाशित भेल अछि।
लेखक:- किशन कारीग़र

परिचय:-जन्म- 1983ई0 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय किशन’। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय नन्दू’माताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी। मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।
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