देशऽक चिन्ता
किनको छनि स्वार्थक चिन्ता
किनको छनि घूस लेबाक चिन्ता
नेता सभ के अछि कुर्सीक चिन्ता
मुदा किनको नहि अछि, देशऽक चिन्ता।
चुनाव जीतलाक बाद, कुर्सी भेटलैन्ह नेताजी के
भऽ गेलाह निःफिकीर
मुदा भाषणेटा मे खिचैत छथि
आर्थिक विकासऽक लकीर ।
भूखे मरैत अछि गरीब जनता
एहि बातक हुनका नहि छनि कोनो चिन्ता
शहीद होइत छथि देशऽक सीमा पर जुआन
कानब तऽ दूरक गप, श्रद्धांजलियो दैए लेल नहिं औता।
नेता सभ मंत्रालय लेल छथि परेशान
कियो स्वार्थसिद्धिक लेल अछि हरान
कियो भूखे मरि जाए, कियो दहा जाएय बाढ़ि मे
मुदा हुनका नहि, जेतैन मरल लोक पर धियान।
घूस खाईत-खाईत भऽ गेलाह भ्रष्ट
मुदा खादिक अंगा पहिर, अपना के बुझैेत छथि श्रेष्ट
कोना कऽ हेतै आर्थिक विकास
नहिं सोचैत छथि, नहि छनि चिन्ता।
सभ पार्टी के तऽ अछि कुर्सीक चिन्ता
मुदा किनको नहिं अछि देशऽक चिन्ता।
ई कविता विदेह में प्रकाशित भेल अछि।
लेखक:- किशन कारीग़र
परिचय:-जन्म- 1983ई0 कलकता में मूल नाम-कृष्ण कुमार राय "किशन"। पिताक नाम- श्री सीतानन्द राय "नन्दू" माताक नाम- श्रीमती अनुपमा देबी। मूल निवासी- ग्राम-मंगरौना भाया-अंधराठाढ़ी जिला-मधुबनी बिहार। हिंदी में किशन नादान आओर मैथिली में किशन कारीग़र के नाम सॅं लिखैत छी। हिंदी आ मैथिली में लिखल नाटक आकाशवाणी सॅं प्रसारित एवं दर्जनों लघु कथा, कविता राजनीतिक लेख प्रकाशित भेल अछि। वर्तमान में आकशवाणी दिल्ली में संवाददाता सह समाचार वाचक पद पर कार्यरत छी। शिक्षाः- एम फिल पत्रकारिता एवं बी एड कुरूक्षे़त्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र सॅं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें