लिखैत रही।
मोन होइए जे एक मिसिया कऽ पिबैत रही
मुदा कहियो कऽ किछू-किछू लिखैत रही
कनेक हमरो गप पर धियान देबैए
मोन होइए जे पाठक सभ सॅं भेंट करैत रही।
ग़ालिब सेहो एक मिसिया कऽ पिबैत छलाह
मुदा किछू-किछू तऽ लिखैत छलाह
अपना लेल नहि पाठक लोकनिक लेल
मुदा बड्ड निक लिखैत छलाह।
पद्य लिखनाई तऽ आब हम सीख रहल छी
हमरा तऽ नहि लिखबाक ढंग अछि
मुदा किछू निक पद्य लिखि नेनापन सॅं
एतबाक तऽ हमर सख अछि।
िक िलखू िकछू ने फुरा रहल अिछ
बढलैऍ मँहगाई तऽ अधपेटे भूखले रहैत छी
िकऍक ने रही जाऍ भूखल पेट मुदा
िकछू िलखबाक लेल मोन सुगबुगा रहल अछी।
पोथि लिखलनि महाकवि विद्यापति
लिखलनि पोथि बाबा नागार्जुन
किछू नव रचना जे नहि लिखब
तऽ कोना भेटत मैथिली साहित्यक सद्गुण।
लेखक समाजक सजग प्रहरी होइत छथि
अपना लेल तऽ नहि अनका लेल लिखैत छथि
कतेक लोक हुनका आर्थिक अवस्था पर हॅसैत अछि
मुदा तइयो ओ चुपेचाप लिखैत रहैत छथि।
कहू एहेन उराउल हॅसी पर कोनो लेखक
एक मिसिया कऽ पिबत कि नहि
अपन दुःखित भेल मोन के
कखनो के अपनेमने हॅंसाउत कि नहि
कतेक लोक गरियअबैत अछि
एक मिसिया पीब कऽ लिखब ई किएक सीखू
मुदा आई किशन’ मोनक गप कहि रहल अछि
पिबू आ कि नहि पीबू मुदा किछूएक तऽ लिखब सीखू।
आई हमरो मोन भए रहल अछि
जे एक मिसिया कऽ पिबैत रही
अपना लेल नहि तऽ पाठक लोकनिक लेल
मुदा किछू नव रचना लिखैत रही।
लेखक:- किशन कारीग़र
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें