दहेज
दहेजक नाम सुनि कऽ
कांइपि उठैत अछि ,माए-बापऽक करेज
कतबो छटपटायब तऽ
लड़कवला कम नहि करताह अपन दहेज।
ओ कहताह, जे बियाह करबाक अछि
तऽ हमरा देबैह परत दहेज
पाई नहि अछि तऽ
बेच लिय अपना जमीनऽक दस्तावेज।
दहेज बिना कोना कऽ करब
हम अपना बेटाक मैरेज
दहेज नहि लेला सऽंॅ खराब होयत
समाज में हमर इमेज।
एहि मॉडर्न जुग मे तऽ
एहेन होइत अछि मैरेज
आयल बरियाति घूरीकऽ जाइत छथि
जऽंॅ कनियो कम होइत अछि दहेज।
मादा-भूर्ण आओर नव कनियाक
जान लऽ लैत अछि इ दहेज
ई सभ देखि सूनि कऽ
काइपि उठैत अछि ‘किशन’ के करेज।
समाज के बरबाद केने
जा रहल अछि ई दहेज
बचेबाक अछि समाज के तऽ
हटा दियौ ई मुद्रारूपी दहेज।
खाउ एखने सपत ,करू प्रतिज्ञा
जे आब नहि मॅंागब दहेज
बिन दहेजक हेतै आब सभ ठाम
सभहक बेटीक मैरेज।
लेखक:- किशन कारीगर
संवाददाता, आकाशवाणी दिल्ली ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें