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मार्च 19, 2012

दहेज


दहेज

दहेजक नाम सुनि कऽ
कांइपि उठैत अछि ,माए-बापऽक करेज
कतबो छटपटायब तऽ
लड़कवला कम नहि करताह अपन दहेज।
ओ कहताह, जे बियाह करबाक अछि
तऽ हमरा देबैह परत दहेज
पाई नहि अछि तऽ
बेच लिय अपना जमीनऽक दस्तावेज।
दहेज बिना कोना कऽ करब
हम अपना बेटाक मैरेज
दहेज नहि लेला सऽंॅ खराब होयत
समाज में हमर इमेज।
एहि मॉडर्न जुग मे तऽ
एहेन होइत अछि मैरेज
आयल बरियाति घूरीकऽ जाइत छथि
जऽंॅ कनियो कम होइत अछि दहेज।
मादा-भूर्ण आओर नव कनियाक
जान लऽ लैत अछि इ दहेज
ई सभ देखि सूनि कऽ
काइपि उठैत अछि किशन के करेज।
समाज के बरबाद केने
जा रहल अछि ई दहेज
बचेबाक अछि समाज के तऽ
हटा दियौ ई मुद्रारूपी दहेज।
खाउ एखने सपत ,करू प्रतिज्ञा
जे आब नहि मॅंागब दहेज
बिन दहेजक हेतै आब सभ ठाम
सभहक बेटीक मैरेज।

लेखक:- किशन कारीगर
       संवाददाता, आकाशवाणी दिल्ली ।

मार्च 07, 2012

कक्का हमर उचक्का (होली पर हास्य कविता)




 कक्का हमर उचक्का ।

                     होली पर हास्य कविता

 

 

ओंघराइत पोंघराइत हरबड़ाइत धड़फराइत धांई दिस

बान्हे पर खसलाह कक्का हमर उचक्का

होरी मे बरजोरी देखी मुस्की मारैत

काकी मारलखिन दू-चारि मुक्का।।

 

धिया-पूता हरियर पीयर रंग सॅं भिजौलकनि

बड़की काकी हॅसी क घिची देलखिन धोतीक ढे़का

पिचकारी मे रंग भरने दौगलाह हमर कक्का

अछैर पिछैर के बान्हे पर खसलाह कक्का हमर उचक्का।।

 

होरी खेलबाक नएका ई बसंती उमंग

ततेक गोटे रंग लगौलकनि मुॅंह भेलैन बदरंग

काकी के देखैत मातर कक्का बजलाह

आई होरी खेलाएब हम अहींक संग।।

 

कक्का के देखैत मातर काकी निछोहे परेलीह आ बजलीह

होरी ने खेलाएब हम कोनो अनठीयाक संग

जल्दी बाजू के छी अहॉं नहि त मुॅंह छछारि देब

घोरने छी आई हम करिक्का रंग।।

 

भाउजी हम छी अहॉक दुलरूआ दिअर 

होरी खेला भेल छी हम लाल पिअर

आई त भैयओ नहि किछू बजताह जल्दी होरी खेलाउ

एहेन मजा फेर भेटत नेक्सट ईअर।।

 

सुहर्दे मुॅंहे मानि जाउ यै भाउजी

नहि त करब हम कनि बरजोरी

होरी मे त अहॉ जबान बुझाइत छी

लगैत छी सोलह सालक छाउंड़ी।।

 

आस्ते बाजू अहॉक भैया सुनि लेताह 

कहता किशन भए गेल केहेन उच्का

केम्हरो सॅ हरबड़ाएल धड़फराएल औताह

छिनी क फेक देताह हमर पिनी हुक्का।।

 

आई ने मानब हम यै भाउजी

फुॅसियाहिक नहि करू एक्को टा बहन्ना

आई दिउर के भाउजी लगैत अछि कुमारि छांउड़ी

रंग अबीर लगा भिजा देब हम अहॉक नएका चोली।।

 

ठीक छै रंग लगाउ होरी मे करू बरजोरी

आई बुरहबो लगैत छथि दुलरूआ दिअर

ई सुनि पुतहू के भाउजी बुझि होरी खेलाई लेल

बान्हे पर दौगल अएलाह कक्का हमर उचक्का।।

लेखक :- किशन कारीगर 


 

मार्च 06, 2012

निबंध प्रतियोगिता

दिल्ली सँ प्रकाशित मासिक मैथिलि पत्रिका मिथिलांचल पत्रिका के द्वारा कक्षा ८  सँ ल के बी.ए/बी.एस.सी/ बी.कॉम/इंजीनियरिंग /चिकित्सा विज्ञानं के छात्र हेतु एकटा निबंध प्रतियोगिता रखल गेल अछि .
निबंध के विषय :- "मातृभाषाक माध्यम सँ विज्ञानं एवं प्रोद्योगिकी के शिक्षा कतेक सार्थक अछि "
 जाही में प्रतिभागी हेतु नियम :-
१. कक्षा ९ सँ - स्नातक तक के छात्र भाग लय सकैत छथि
२. उम्र सीमा - १२ वर्ष -२२ वर्ष
३.रचना मौलिक हेबाक चाही एवं स्व लिखित हेबाक चाही
४.आलेख मैथिलि भाषा में हेबाक चाही
५.रचना पठेबक अंतिम तिथि - २५ मार्च २०१२
६. प्रतिभागी लोकनि अप्पन आलेख mithilanchalpatrika@gmail.com   या   B-2/333 Tara Nagar, Old Palam Road Sec-15 Dwarka New Delhi-110078. पर पठाबी
७. आलेखक संग अप्पन परिचय एवं पत्राचारक पता अबश्य पठाबी
८. विशेष जानकारी हेतु संपर्क करी Mob -9990065181 /9312460150/ 09762126759.

निर्णयाक मण्डली में छैथि :- १.डॉ. कैलाश कुमार मिश्र २.डॉ. प्रेम मोहन मिश्र ३. श्री गजेन्द्र ठाकुर ४. डॉ. शशिधर कुमार
पुरस्कार :- निबंध प्रतियोगिता में चयनित प्रतिभागी के समुचित पुरस्कार राशी एवं प्रमाणपत्र  पठौल जाएत

भबदीय
डॉ. किशन कारीगर
(संपादक ) मिथिलांचल पत्रिका

मार्च 05, 2012

करीक्का रूपैया - (हास्य कविता)

करीक्का रूपैया।
(हास्य कविता)
नेहोरा करैत करैत मरि गेल कारीगर
नहि लियअ आ ने दियअ करीक्का रूपैया
मुदा ई की कोनो काज करेबाक अछि 
त कहल जायत जल्दी लाउ करीक्का रूपैया।

मौका भेटला पर सरकारी बाबू नहि छोड़त
रूपैया बिन एक्को टा काज ने होएत
अहाँ फायल ल व्यर्थ घूमैत छी यौ भैया
काज करेबाक अछि त जल्दी लाउ करीक्का रूपैया।।

कहलहुँ त स्वीस बैंक मे खाता खोलाएब
चुपेचाप पार्टी ऑफिस मे चंदा जमा कराएब
जीबैत जिनगी हम अप्पन मुर्ती बनाएब
मोन होएत त विदेश यात्रा पर जाएब।।

कतबो हल्ला करब तै स की
स्वीस बैंक मे जमा रहत करबै की
लुटा रहल अछि सरकारी खजाना
अहुँ लुटु हमहुँ लुटैत छी जमा करू करीक्का रूपैया।।

भ्रष्टाचाराक ढे़रीऔलहा संपति हमरे छी
एहि दुआरे पक्ष-विपक्ष मे झगरा भेल औ भैया
एक दोसराक मुँह पर करीक्का स्याही फेकलक
राजनैतिक घमासान मचा देलक करीक्का रूपैया।।

रामलीला मैदान मे जनआंदोलन भेल
लोकपाल पर कोनो ठोस कारवाई ने भेल
सरकार फोंफ काटि रहल अछि बुझलहुँ की
साफ सुथरा लोकपाल कहियो आउत ने।।

भ्रष्टाचार मे खूम नाम कमेलहुँ मुदा
तइयो संतोष नहि भेल औ भैया
भ्रष्टाचाराक रोटी खा देह फुलाउ
संपैत ढ़ेरियाउ अहाँ जमा करू करीक्का रूपैया।।

दुनियाक सभ सँ नमहर लोकतंत्र मे
कुर्सी हथिएबाक होड़ मचल अछि
अहाँ जुनि पछुआउ गठजोड़ करू यौ भैया
चुपेचाप अहाँ जमा करू करीक्का रूपैया।।

हल्ला-गुल्ला करने किछ काज ने होएत
बिना किछ लेने-देने फायल ने घुसकत
ईमानदारी स किछो नहि तकैत की छी
जल्दी जेबी गरम करू लाउ अहाँ करीक्का रूपैया।।

लेखक:- किशन कारीगर